खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों की ये कलाकृतियां
मध्यप्रदेश में स्थित यह प्रसिद्ध स्थल खजुराहो, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विलक्षण ग्रामीण परिवेश के कारण भारत ही नहीं पूरी दुनिया को अपनी ओरआकर्षित करता है.यह स्थल मध्यप्रदेश राज्य का प्रमुख सांस्कृतिक नगर माना जाता है यहां की सुंदरता , कला कृतियाँ मानव के मन में एक अलग सी रोचकता उत्पन्न कर देती है . यह मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है. इस स्थल के अभी मंदिर पूरे विश्व में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र माने जाते है .इन सभी मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने करवाया था .यहां स्थित सभी मंदिर पूरी दुनिया को भारत की ओर से प्रेम के अनूठे उपहार हैं. इस स्थल में देश विदेश से लोग आते है .
खजुराहो के इन मंदिरों का निर्माण लगभग 950 से 1050 ईस्वी के मध्य माना जाता है. जो चंदेल वंश के शासनकाल में हुआ था .
क्यों पड़ा इस स्थल का नाम खजुराहो –
इतिहास द्वारा यह प्रदत्य है कि इस क्षेत्र में किसी समय खजूर के पेड़ों की बहुत अधिक मात्रा (भरमार) थी. इसलिए इस स्थान का नाम खजुराहो हुआ. मध्यकाल में यह मंदिर भारतीय वास्तुकला का प्रमुख केन्द्र माने जाते थे. बड़ी सुन्दर सुन्दर कला – कृतियाँ जो चंदेल राजाओं द्वारा बनवाई गई थीं .
इस प्रसिद्ध स्थल में 85 मंदिरों का निर्माण किया गया था,किंतु कालान्तर में मात्र 22 ही शेष रह गए. खजुराहो में स्थित सभी मंदिरों का निर्माण लगभग 200 वर्षों की छोटी अवधि में होना रचनात्मकता का अद्भूत प्रमाण है.पर चंदेल वंश के पतन के बाद यह मंदिर उपेक्षित हुए और प्राकृतिक दुष्प्रभावों से जीर्ण-शीर्ण हुए.पर इनको फिर से खोजा गया, उनका संरक्षण और देख- रेख की गई और वास्तुकला के इस सुंदरतम पक्ष को दुनिया के सामने लाया गया.
खजुराहो के इन मंदिरों की अद़भुत और मोहित करने वाली पत्थर की प्रतिमाओं के केन्द्र होने के साथ ही देव स्थान भी है. इनमें कंडारिया मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चौंसठ योगिनी, चित्रगुप्त मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर,चतुर्भूज मंदिर, पाश्र्वनाथ मंदिर और आदिनाथ मंदिर प्रमुख है.इस प्रकार यह मंदिर अध्यात्म अनुभव के साथ-साथ लौकिक जीवन से जुड़ा ज्ञान पाने का भी संगम स्थल है.