जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में ओपिनियन पोल पर CEC ने लगाई रोक
नई दिल्ली। लोकसभा, विधानसभा चुनाव की तरह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में मतदाताओं के मूड को भांपने के लिए एक छात्र के द्वारा ओपिनियन पोल कराए जाने पर चुनाव आयुक्त इशिता मन्ना ने रोक लगा दी है। इस रोक के विषय में उन्होंने स्पष्ट किया है कि कैंपस में जारी चुनाव प्रक्रिया के दौरान ओपिनियन पोल चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि इससे इतर चुनाव समिति ने नौ सितंबर को मतदान के दौरान एग्जिट पोल की व्यवस्था से इन्कार नहीं किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त इशिता मन्ना ने बताया कि उन्हें कैंपस में एक छात्र जिसका नाम अंकित हंस है। उसके द्वारा शनिवार से ओपिनियन पोल कराए जाने की जानकारी मिली थी।
उन्होंने बताया कि कैंपस में चुनाव के दौरान इस कार्रवाई को लेकर कोई मंजूरी नहीं ली गई थी, इसलिए इस गतिविधि पर रोक लगा दी गई। इशिता ने बताया इस छात्र के आवेदन पर विचार करने के बाद हमने निर्णय दिया है कि कोई भी ओपिनियन पोल आचार संहिता लागू होने और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से पूर्व होता है तो वह उचित है और उसका असर चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन जब आचार संहिता लागू है और प्रचार अभियान जारी है तो इसकी मंजूरी उचित नहीं है।
एबीवीपी के सौरभ वोट देने की तैयारी में
जेएनयू में नौ फरवरी को कैंपस में घटी घटना के चलते प्रशासन की ओर से पांच हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा पाने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेता व पूर्व संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा नौ सितंबर को मतदान करने की तैयारी में है। सौरभ का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। इस संबंध में सौरभ ने साफ किया कि वो अपने स्कूल से पंजीकृत आदेश लाकर मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष पेश करेंगे।