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भोजन 50 का, थाली में जूठन छोड़ी तो जुर्माना 101 रुपए

bhojan_in_bhopal_07_09_2016आनंद दुबे, भोपाल। देशी घी से बना शुद्ध सात्विक भरपेट भोजन 50 रुपए में उपलब्ध है, लेकिन खाने के बाद थाली में जूठन छोड़ने पर आपको बतौर जुर्माना 101 रुपए देना पड़ेगा। सुनने में यह अटपटा लगे, लेकिन चातुर्मास के दौरान हबीबगंज जैन मंदिर के सामने चल रही भोजनशाला में यह नियम लागू है। यह सिस्टम शुरू होने के बाद अब यहां डस्टबिन में नाम मात्र की जूठन बच रही है। उसे भी गौशाला भेजा जाता है। हबीबगंज जैन मंदिर में आचार्य विद्यासागरजी चातुर्मास कर रहे हैं। उनके दर्शन के लिए पूरे देश से श्रावक आ रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सरगम सिनेमा के सामने बड़े पंडाल में समाज की तरफ से भोजनशाला शुरू की गई है।

चैक होती है थाली : व्यापारी

महेंद्र अजमेरा (किराना) और रमेंद्र जैन (गल्ला) द्वारा शुरू की गई इस भोजनशाला में खाना खाने के बाद लोगों को अपनी थाली चैक करानी पड़ती है। डस्टबिन के पास दो लोग थाली चैक करते हैं। साथ ही यहां लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को दाने-दाने की कीमत बताते हुए थाली में भोजन न छोड़ने की लगातार अपील की जाती है। यहां पर ‘डस्टबिन में पड़ी जूठन ये बयां करती है कि पेट भरने के बाद लोग भोजन का महत्व भूल जाते हैं”, भोजन के बाद

आपकी खाली थाली आपके भोजन के प्रति संस्कारों का प्रतीक है” इस तरह के स्लोगन भी लिखे गए हैं।

कुएं का पानी, सोला का भोजन, खाना परोसने वाले भी पहनते हैं शुद्धि वस्त्र

दिगंबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व शुरू होने से यहां सोला का भोजन शुरू कर दिया गया है। इसके तहत परोसने वाले भी शुद्धि के वा पहनते हैं। श्रावकों के लिए जवाहर चौक स्थित मंदिर के कुएं के पानी का इंतजाम है। भोजन करने की व्यवस्था लकड़ी के पीठे पर की गई है। यह जिम्मेदारी अजीत जैन, संजीव जैन,वीरेंद्र जैन ने संभाल रखी है।

एक हजार लोगों का भोजन

व्यवस्थापक विमल भंडारी ने बताया कि यहां मात्र 50 रुपए के कूपन पर एक व्यक्ति को भरपेट भोजन मिलता है। इस भोजनशाला में रोजाना करीब एक हजार लोग भोजन करते हैं। शुरूआत में दिनभर में यहां आठ बड़े डस्टबिन जूठन से भर जाते थे। अन्ना की इस तरह की बरबादी देखने के बाद ही भोजन करने वालों की निगरानी का काम शुरू किया गया। यहां दान पेटी रखी गई है। थाली में जूठन छोड़ने वालों से जुर्माना स्वरूप हाथ जोड़कर 101 रुपए दान पेटी में डालने को कहा जाता है। यह नियम लागू होने के बाद अब दिनभर में बमुश्किल आधा डस्टबिन ही जूठन निकल रही है। उसे गौशाला भेज दिया जाता है।

 

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