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बदलेगा इतिहास, पाकिस्तान के जख्मों पर लाल मिर्च रगड़ेगा भारत

img_20160923115946नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि उड़ी हमले के बाद भारत पाकिस्तान को जवाब देने के लिए कई स्तरों पर तैयारी कर रहा है।

इसी क्रम में बलोच नेता ब्रह्मदाग बुगती को भी शरण देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। भारतीय पहचान पत्र और ट्रैवल डॉक्युमेंट्स के लिए बुगती की अर्जी गृह मंत्रालय तक पहुंच गई है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,’बुगती की अर्जी को मंजूरी देने से पहले उनके कागजातों की पड़ताल की जाएगी।
खुफिया एजेंसियों की ली जाएगी मदद
इसके लिए खूफिया एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। यह एक उच्चस्तरीय राजनीतिक फैसला है लेकिन हमें पूरी कागजी प्रक्रिया भी फॉलो करनी होगी।’
बुगती ने दी है अर्जी 
बुगती ने जिनेवी के भारतीय वाणिज्य दूतावास में राजनीतिक शरण के लिए अर्जी डाली थी, जिसे विदेश मंत्रालय को फॉरवर्ड कर दिया गया था। अब विदेश मंत्रालय ने इसे गृहमंत्रालय को भेज दिया है। भारत की कोई विस्तृत आश्रय नीति नहीं है।
भारत में शरण चाहते हैं 6500 लोग
यूनाइटेड नेशन्स के मुताबिक, कम से 6,480 लोग भारत में शरण चाहते हैं लेकिन भारत सरकार उन्हें स्वीकार नहीं करती है। स्थिति इतनी गंभीर है कि गृह मंत्रालय के अधिकारी प्रोसेस चेक करने के लिए करीब 1,959 रेकॉर्ड्स खंगाल रहे हैं।
भारतीय कानून में ‘रेफ्यूजी’ (शरणार्थी) शब्द का उल्लेख नहीं
यहां तक कि भारतीय कानून में ‘रेफ्यूजी’ (शरणार्थी) शब्द का उल्लेख भी नहीं मिलता है। भारत ने यूनाइटेड नेशन्स की रेफ्यूजी कन्वेशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
हालांकि 1959 में जवाहर लाल नेहरू सरकार ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा और उनके अनुयायिओं को शरण दी गई थी। फिलहाल मौजूदा सियासी और कूटनीतिक हालात देखते हुए ऐसा लगता है कि भारत बुगती मामले में जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएगा।
 

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