अपदस्थ थाई प्रधानमंत्री पूछताछ के लिए हिरासत में
बैंकाक। थाईलैंड की अपदस्थ प्रधानमंत्री यिंग्लक शिनावात्रा और बर्खास्त सरकार के कुछ मंत्रियों सरकार विरोधी नेताओं और सरकार समर्थक लाल कुर्ती दल के नेताओं को सेना ने हिरासत में ले लिया है और उन्हें अज्ञात स्थान पर रखा गया है। शुक्रवार को यह जानकारी सूत्रों ने दी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट पर चिंता जाहिर करते हुए इस एशियाई देश में जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रिया की वापसी की अपील की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार मून के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा ‘‘महासचिव थाईलैंड के सैन्य तख्तापलट से बेहद चिंतित हैं।’’ गुरुवार को सेना प्रमुख प्रयुथ चान-ओछा ने तख्तापलट करते हुए कार्यवाहक सरकार को अपदस्थ कर दिया था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना ने यिंग्लक और अन्य प्रमुख नेताओं से सेना के प्रेक्षागृह में और सेना के एक बैरक में पूछताछ की और उसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर रखा है। नेताओं को कहां रखा गया है इसका रहस्य बना हुआ है क्योंकि जिन वाहनों से नेताओं को ले जाया जा रहा था उसका पीछा करने से प्रेस को रोक दिया गया। हिरासत में लिए गए लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री सोमचाई वोंगसावत और उनकी पत्नी यिंग्लक की छोटी बहन याओवापा वोंगसावत पूर्व उपप्रधानमंत्री निवात्थामरोंग बूनसोंगपाइसाल और पूर्व श्रम मंत्री चालेर्म युबामरुंग शामिल हैं। इससे पहले थाईलैंड के सैन्य प्रमुख प्रयुथ चान-ओछा ने खुद को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री घोषित किया। स्थायी रूप से किसी नेता के चुने जाने तक वे इस पद पर बने रहेंगे।
बैंकाक पोस्ट के अनुसार नेशनल पीस एंड ऑर्डर मेनटेनिंग काउंसिल (एनपीओएमसी) ने एक बयान जारी कर कहा ‘‘कुछ कानून में ऐसी बात कही गई है कि प्रधानमंत्री के पास नियमों के तहत कार्रवाई करने का अधिकार है प्रयुथ चान-ओछा और उनके नियुक्त नेता कुछ समय तक सत्ता संभालेंगे।’’ तख्तापलट के बाद एनपीओएमसी ने अस्थाई रूप से देश के संविधान को स्थगित करने की घोषणा की। सरकार को बर्खास्त कर दिया गया है लेकिन सीनेट और स्वतंत्र एजेंसियां पूर्व की तरह काम कर सकेंगी। एनपीओएमसी ने शुक्रवार से रविवार तक शिक्षण संस्थानों को बंद करने के भी आदेश दिए हैं। रेडियो और टेलीविजन स्टेशन पर सिर्फ पारंपरिक संगीत प्रसारित किए जा रहे हैं। प्रिंट मीडिया इंटरनेट और मोबाइल फोन इससे अप्रभावित हैं। हालांकि इसने प्रिंट व इंटरनेट मीडिया को पूर्व सरकारी अधिकारियों व शिक्षाविदों न्यायाधीशों या स्वतंत्र संगठनों के सदस्यों का साक्षात्कार नहीं लेने के आदेश दिए हैं ताकि जनता के बीच किसी तरह के भ्रम की स्थिति न हो। थाईलैंड में 1932 से अब तक का यह 12वां सैन्य तख्तापलट है।