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बॉर्डर पर आज भी देश की रक्षा करती हैं BSF के जवानों की आत्माएं
INDIA और PAKISTAN के बीच जंग के माहौल में हम आपको ऐसे जाबांजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके लिए कहा जाता है कि वो मरकर भ
बियाबान रेगिस्तान में एक ऐसी समाधि है , जहां बिना उसपर पानी चढ़ाए कोई भी अपनी गाड़ी लेकर आगे नहीं जा सकता है। लगभग 40 साल पहले यहां BSF के तीन जवानों की प्यास की वजह से मौत हो गई थी। इसके बाद उन जवानों के बलिदान के बदले गांव के लोगों और बीएसएफ के जवानों ने वहां एक बड़ी नांद रख दी। कहा जाता है कि उधर से गुजरने वाला कोई शख्स अगर इस नांद में पानी नहीं डालता है तो उसकी गाड़ी पंक्चर हो जाती है, या तो स्टार्ट ही नहीं होती है।
सूत्रों के अनुसार कई बार किसी ने समाधि के पास रखे उस बड़े बर्तन में पानी नहीं भरा तो उसकी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। जानकारी के अनुसार 40 साल पहले बीएसएफ के जवान भानू, जोगिंदर, और आजाद घोटारू बॉर्डर पर पोस्टेड थे। मई की गर्मी में गशत लगाते समय वे तीनों थार के मरुस्थल में रास्ता भटक गए।
इसके बाद धीर-धीरे उनका राशन और पानी भी खतम हो गया। रेगिस्तान में भटकते-भटकते भूख-प्यास से उनकी मौत हो गई। इन तीनों शहीदों की याद में बीएसएफ ने भानू, आजाद और जोगिंदर नाम से तीन बॉर्डर पोस्ट बना दीं। इस जगह पर एक छोटा सा मंदिर भी बना दिया गया जहां लोग जवानों को श्रद्धांजलि देते थे। आज भी बीएसएफ के जवान वहां समाधि पर पानी चढ़ाते हैं।
बीएसएफ के अधिकारियों का कहना है कि लोग मानते हैं कि नांद में पानी डालने से वह सीधा शहीद जवानों को मिलता है। एक अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि यहां पानी चढ़ाने के लिए लोग अलग बोतल में पानी लाते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वाहन आगे नहीं जा पाता है।
उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, ‘एक बार मैं उधर से गुजर रहा था। मैं समाधि पर पानी चढ़ाना भूल गया और कुछ मिनट्स में ही मेरा वाहन पंक्चर हो गया। अपनी भूल का अहसास होने के बाद मैं एक बोतल पानी लाया और समाधि पर चढ़ाया।’ यह केवल कुमार का ही अनुभव नहीं है बल्कि कई बीएसएफ के अधिकारियों के साथ ऐसा ही हुआ है।