अद्धयात्म
देवी दुर्गा का रूप हैं ‘शाकंभरी’, जिनकी थीं हजार आंखें
शाकंभरी देवी, मां दुर्गा का ही रूप हैं। देवी ने यह अवतार तब लिया जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया। तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी हजार आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का बहुत ही दयनीय रूप देखा तो लगातार नौ दिनों तक रोती रहीं।
पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित कहानियों के अनुसार, रोते समय उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ। चारों तरफ हरियाली छा गई। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है।
इस दिन शाकंभरी जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन असहायों को अन्न, शाक (कच्ची सब्जी), फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं व देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।