अहमदाबाद। दिल्ली की सत्ता हथियाने और पंजाब में चुनावी बिगुल फूंक देने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल 14 अक्टूबर से तीन दिन के गुजरात दौरे पर हैं। दौरे का जो कार्यक्रम तय किया गया है वो पूरी तरह से राज्य में आरक्षण को लेकर पाटीदारों के असंतोष को भुनाने की कोशिश नजर आता है। दौरे से ठीक पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संयोजक हार्दिक पटेल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस तरह ट्विटर पर नजदीकियां दिखा रहे हैं उसे राज्य में एक बड़े राजनीतिक समीकरण की बुनियाद तैयार करने के तौर पर देखा जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो ये केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को उसके गढ़ में मिला सबसे बड़ा झटका होगा।
अरविंद केजरीवाल 14 अक्टूबर को अहमदाबाद से सीधे उंझा (कडवा पटेल) पाटीदारों की कुलदेवी के दर्शन के लिए जाएंगे। वहां दर्शन के बाद आंदोलन के दौरान मेहसाणा और आसपास पुलिस फायरिंग में मारे गए पाटीदार युवाओं के घर पर जाकर परिवारों से मिलेंगे। 15 अक्टूबर को अहमदाबाद में मारे गए पाटीदार युवाओं के घर जाकर मिलेंगे। आम आदमी पार्टी के संगठन की एक बैठक भी है उसमें भी पाटीदार मुद्दा ही चर्चा का केंद्र है।
16 अक्टूबर को पाटीदारों के गढ़ माने जाने वाले सूरत में जाकर रैली को संबोधित करेंगे। इस रैली पर सबकी नजरें हैं चूंकि पिछले महीने इसी सूरत में बीजेपी अध्यक्ष की रैली में पाटीदारों ने हंगामा मचाया था और रैली के बाद हार्दिक ने दावा किया था कि उन्होंने बीजेपी की रैली को विफल कर दिया। ऐसे में इस रैली को सफल बनाने के लिए आम आदमी पार्टी की गुजरात यूनिट ही नहीं बल्कि दिल्ली से भी भारी संख्या में कार्यकर्ता अभी से जमा हुए हैं।
पहले ऊना में हुई घटना के बाद गुजरात में दलितों की स्थिति पर केजरीवाल ने सरकार को खूब ताने मारे थे। अब पाटीदार मुद्दा मिला है। अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि केजरीवाल की रैली में हार्दिक का समर्थन भी मिले इसकी कोशिशें तेज की गई हैं। सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के ट्वीट पसंद करना और उसे रीट्वीट करने की बात ने दोनों के बीच की करीबियों को लेकर खूब चर्चा छेड़ी है। यह ऐसे ही नहीं हो रहा कुछ तो जरूर है लेकिन केजरीवाल की राजनीति को समझ रहे हार्दिक फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहे।