मसूद अजहर या एनएसजी, खुद चुन ले मोदी सरकार
बीजिंग। चीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ दोहरा चरित्र अपनाया है। उसने परोक्ष रूप से कहा है कि भारत को मसूद अजहर या एनएसजी की सदस्यता में किसी एक को चुनना होगा। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराने के भारत के प्रयासों पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए चीन ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के नाम पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
मसूद अजहर पर चीन का दोहरा चरित्र
चीन ने इशारों में यह भी कहा कि भारत दोहरे मानदंड का प्रदर्शन कर रहा है। चीन के उप विदेश मंत्री ली बाओडिंग ने भारत और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, “आतंकवाद के मुकाबले में दोहरा मानदंड नहीं होना चाहिए। आतंकवाद से मुकाबले के नाम पर किसी को राजनीति लाभ लेने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए।”
वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के गोवा में होने वाले आठवें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आने से पहले संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
पिछले हफ्ते चीन ने एक बार फिर मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराने में तकनीकी आधार पर रोक लगाने का निर्णय लिया। अजहर ने मुंबई और पठानकोट हमले की साजिश रची थी।
इससे पहले भी चीन संयुक्त राष्ट्र में मसूद को आतंकी घोषित करने के भारत के प्रयास को विफल कर चुका है।
अजहर मुद्दे पर चीन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को भारत ने जो सबूत मुहैया कराए हैं उस पर बात करनी चाहिए। सबूतों में भारत में हुई हत्याओं की साजिश रचने में उसकी भूमिका का जिक्र है।
परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) के मुद्दे पर ली ने कहा कि चीन वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करने वाले 48 सदस्यीय इस समूह में भारत को शामिल करने पर बातचीत के लिए तैयार है ।
हालांकि, उन्होंने दोहराया कि भारत को समूह में शामिल करने में सिर्फ चीन की अकेले निर्णायक भूमिका नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में नियमों पर फैसला अकेले चीन को नहीं लेना है। इस मुद्दे पर चीन और भारत के बीच अच्छी बातचीत होती है और हमलोग आम सहमति बनाने के लिए विचार-विमर्श जारी रखे हुए हैं। हमलोग यह भी उम्मीद करते हैं कि भारत एनएसजी के अन्य सदस्यों के पास भी जाएगा।
गत जून में सियोल में हुए एनएसजी सम्मेलन में चीन ने भारत के एनएसजी की सदस्यता के प्रयास का विरोध किया था। चीन का कहना था भारत ने परमाणु अप्रसार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है।