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VIDEO: APJ अब्दुल कलाम, वो शख्स जिसने देश को सपने देखना सिखाया

kalam11476505268_bigकलाम की वो बातें जो जाननी हैं बेहद ज़रूरी…

भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 85वीं जयंती है। वे एक आला दर्जे के वैज्ञानिक थे जिन्हें शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे। कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को किराए पर देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था।

कलाम जीवन भर युवाओं और बच्चों का हौंसला बढ़ाते रहे। उनके इन 10 कथनों से आप जान सकते हैं कि कलाम ने कैसे देश के भविष्य के लिए अपने जीवन को कुर्बान कर दिया…
1. सपने सच हों इसके लिए सपने देखना जरूरी है। सपने सिर्फ वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।

2. कलाम हमेशा युवाओं से कहते थे, अलग ढंग से सोचने का साहस करन ज़रूरी है। आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वो महान गुण हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो।

3.कलाम देश में मौजूद भ्रष्टाचार को लेकर भी काफी परेशान रहते थे। अगर एक देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो मैं यह महसूस करता हूं कि हमारे समाज में तीन ऐसे लोग हैं जो ऐसा कर सकते हैं। ये हैं पिता, माता और शिक्षक।

4. छात्रों को प्रश्न जरूर पूछना चाहिए। यह छात्र का सर्वोत्तम गुण है।

5. महान सपने देखने वालों के सपने हमेशा श्रेष्ठ होते हैं।

6. मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना जरूरी है क्योंकि सफलता के लिए यह जरूरी है।

7. जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी, और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत हैं कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें।

8.चलो हम अपना आज कुर्बान करते हैं जिससे हमारे बच्चों को बेहतर कल मिले।

9. भगवान उसी की मदद करता है जो कड़ी मेहनत करते हैं, यह सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिए।

10. हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को हम पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

बता दें कलाम ने अपने जीवन के आखिरी शब्दों से जाते-जाते एक आदर्श नागरिक के लिए सवाल छोड़ दिया है। सवाल ये कि, इस दुनिया को इस धरती को कैसे जीने लायक बनाया जाए?

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