करंट से झुलसी लाड़ली को हाथ ठेले पर लाया पिता
बैतूल। नवदुनिया न्यूज। कोचिंग क्लास में करंट लगने से घायल हुई बिटिया के उपचार के लिए सहायता और दोषी पर कार्रवाई की गुहार लेकर एक पिता अपनी लाड़ली को हाथ ठेले में डालकर कलेक्ट्रेट में हो रही जनसुनवाई में लाया। मजबूर पिता और परिजनों का कहना था कि अभी तक तो जेवर बेच कर और रिश्तेदारों से उधार लेकर उन्होंने उपचार करवाया मगर अब उनकी बिल्कुल भी सामर्थ्य नहीं बची है।
करन्ट लगने से 60 प्रतिशत जली किशोरी कृष्णपुरा वार्ड टिकारी निवासी शीतल काले कक्षा 12 वीं की छात्रा है। विगत 28 जुलाई को लिंक रोड टिकारी स्थित सतीश चढ़ोकार के कोचिंग क्लास गई शीतल वहां फैले करंट से बुरी तरह झुलस गयी थी। इससे उसका एक हाथ और पूरा पैर बुरी तरह जख्मी हो चुका है। मजदूर पिता और एक निजी स्कूल में प्यून मां की बेटी शीतल का इलाज कराने उसके परिजन लम्बे समय से भटक रहे हैं।
दो लाख की सरकारी मदद से उसकी जान तो बच गई है, लेकिन अब हर दो दिन में होने वाली ड्रेसिंग और इलाज पर उसे महीने में 40 हजार रुपए का खर्च आ रहा है। इसे पूरा करने परिजन सारे जेवरात बेच चुके हैं। अब उनकी कुछ भी कर पाने की सामर्थ्य नहीं है। आज परिजन पीड़ित को हाथ ठेले में डालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां मौजूद अपर कलेक्टर से उन्होंने मदद की गुहार लगाई।
उन्होंने बताया कि कोचिंग संचालक ने पहले तो मदद का आश्वासन दिया मगर आज तक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। छात्रा शीतल गई तो अपना भविष्य संवारने के लिए थी, लेकिन कोचिंग प्रबंधन की लापरवाही ने छात्रा को ऐसा जख्म दिया कि वह जिंदगी भर के लिए अपाहिज बन कर रह गई है। छात्रा अब जिंदगी के लिए मौत से जूझ रही है। पुलिस भी महज खानापूर्ति में जुटी हुई है।
चल रहा था निर्माण कार्य
शीतल के पिता देवराव काले ने बताया कि जिस समय शीतल करंट में झुलसी उस समय कोचिंग में निर्माण कार्य चल रहा था। इसके लिए बिजली के केबल बिछाए गए थे। उनमें उलझकर शीतल गंभीर रूप से झुलसी थी। कोचिंग संचालक ने भवन गैरकानूनी रूप से तीसरी मंजिल तक बना दिया जिससे वहां से गुजर रही 33 हजार किलोवाट की बिजली लाइन के तार छत से कुछ फुट ऊपर आ गए। यह भी हादसे की बड़ी वजह बन गया। इसे लेकर विद्युत मंडल ने संचालक को नोटिस भी जारी किया है। शिकायत के बाद संयुक्त कलेक्टर आरएन टोप्पो ने नियमानुसार मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।
बेबस बेटी नहीं जा पा रही स्कूल
इस हादसे के बाद से उनकी बेबस बेटी स्कूल तक नहीं जा पा रही है। यहां तक कि वह अपने पांव पर खड़ी तक नहीं हो पा रही है। घर पर लाचार स्थिति में पड़े-पड़े आसमान की ओर ताकती रहती है और अपनी किस्मत पर आंसू बहाती रहती है। 3 माह पहले तक एक उज्जवल भविष्य के सपने बुनती उनकी बेटी ही नहीं उनका पूरा परिवार असहाय हो चुका है।
उन्होंने कोचिंग संचालक पर कठोर कार्रवाई करते हुए उपचार में व्यय हुई और भविष्य में लगने वाली राशि का मुआवजा दिए जाने की मांग की है। इस संबंध में कोचिंग संचालक सतीश चढ़ोकार का कहना है कि चूंकि मामला पुलिस के माध्यम से न्यायालय में पेश हुआ है। इसलिए न्यायालय का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।