आंकड़ों के ‘गुजरात माडल’ को सीखने के लिए उत्तराखंड के नियोजन विभाग के अधिकारी गुजरात जा रहे हैं। वे वहां उसकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करेंगे। इसके बाद वे शासन को रिपोर्ट देंगे कि अपने प्रदेश की स्थितियों के अनुरूप किस तरह ऐसा ही माडल तैयार किया जाए।
गुजरात की इस एकीकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएमआईएस) के जरिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से संबंधित आंकड़े एक ही क्लिक में देखे जा सकते हैं। खास बात यह है कि इस डाटा के साथ-साथ उनका विश्लेषण भी मौजूद रहता है। इस जानकारी को आम आदमी भी देख सकते हैं।
दरअसल पिछले दिनों नई दिल्ली में नीति आयोग ने बैठक बुलाई थी। यह बैठक प्रदेशों में अगले 30 सालों में विकास के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाने को लेकर थी।
विजन डॉक्यूमेंट बनाने के लिए आंकड़ों की सटीक उपलब्धता होना अत्यंत आवश्यक है। इसी को लेकर राज्यों से आए अधिकारियों ने अपने- अपने प्रदेश में मौजूद व्यवस्था के बारे में जानकारी दी थी। इसमें सबसे ज्यादा बेहतर गुजरात और आंध्र प्रदेश के माडल को माना गया था। इस पर नीति आयोग ने अन्य राज्यों को सुझाव दिया था कि वे भी अपने राज्यों के लिए इस माडल का अध्ययन करें।
इससे उनको अपना विजन डॉक्यूमेंट बनाने में आसानी रहेगी। इसी के मद्देनजर प्रदेश के नियोजन विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी गुजरात जा रहे हैं। वे तीन से पांच नवंबर तक वहां रहकर इस संबंध में अध्ययन करेंगे।
गुजरात माडल की विशेषता यह है कि इसमें आंकड़ों की अद्यतन जानकारी मौजूद रहती है। इसके साथ-साथ आवश्यक विश्लेषण भी इसमें रहता है। दरअसल वहां हर विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि वे साप्ताहिक, अर्द्धमासिक व मासिक आधार पर संबंधित पोर्टल को अपडेट करें।
इसके लिए हर विभाग को आवश्यक अधिकार व पासवर्ड दिए गए हैं। इसमें यहां तक जानकारी दर्ज रहती है कि बीते सप्ताह किस विभाग ने कहां और कितनी सड़क बनाई है।
इसके विश्लेषण में उसकी लागत, मोटाई, चौड़ाई के अलावा इस्तेमाल की गई सामग्री का विवरण, ठेकेदार, इंजीनियर आदि के साथ-साथ अन्य जानकारियां भी रहती हैं। इससे आम आदमी भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।