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Alert! पूरे नोट बदलने में 50 दिन नहीं करीब 4 महीने लग जाएंगे

bank1479176734_bigकेंद्र सरकार ने नोटबंदी योजना को लेकर लोगों को 50 दिन का दर्द सहने की सलाह दी है। हालांकि जिस दर से फिलहाल नए नोट बांटे जा रहे हैं उसे देखा जाए तो 50 दिन में ये प्रक्रिया पूरी होनी असंभव है। एक अनुमान के मुताबिक नोट बदलने का काम जिस गति से किया जा रहा है ऐसे में इसे पूरा होने में कम से कम 116 दिन (लगभग चार महीने) लग जाएंगे। 

क्या है पूरा मामला
वित्त मंत्री द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर के अंत तक कुल 17,50,000 करोड़ के नोट प्रचलन में थे, जिसका 84 फीसदी या 14,50,000 करोड़ रुपया 500 और 1000 के नोटों के रूप में था, जो अब बेकार हो गए। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पहले चार दिनों में (10 नवंबर से 13 नबंवर तक) कुल 50,000 करोड़ रुपये के नए नोट (100 रुपये और 2,000 रुपये के) उपभोक्ताओं को जारी किए गए। ये नोट उन्होंने या तो एटीएम से निकाले या अपने अकाउंट से निकाले या फिर बैंक और पोस्ट ऑफिस जाकर अपने पुराने नोट को बदल कर पाया।

इस तरह बैंकिंग प्रणाली में कुल 18 करोड़ लेन-देन किए गए हैं। इसके बावजूद लोग एटीएम और बैंक के लाइन में खड़े होते हैं और कैश खत्म हो जा रहा है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उस आश्वासन के अनुरूप भी नहीं है जिसमें उसने पर्याप्त नकदी होने की बात कही थी। यह हाल तब है जब आरबीआई के प्रिंटिंग प्रेस ने कुछ दिन पहले से ही नए नोट छापने शुरू कर दिए थे। इसके साथ ही अगर हम यह मान लें कि रोजाना 2,000 रुपये के नोट में रूप में 12,500 करोड़ रुपये की रकम वितरित की जा रही है तो भी वित्तीय प्रणाली में अवैध करार दी गई रकम के वापस पहुंचने में 116 दिन लगेंगे।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की 2012 में जारी ‘भारत और विदेश में कालेधन से निपटने के उपाय’ में कहा गया था कि रुपये के विमुद्रीकरण से कालेधन की समस्या का समाधान नहीं होता। क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति, सर्राफा और आभूषण के रूप में होती है। इसमें कहा गया था, 1946 और 1978 में भी विमुद्रीकरण बुरी तरह विफल रहे थे और 15 फीसदी से भी कम नोट बदलने के लिए आए।

क्या कहती है ये रिपोर्ट
इसमें यह भी माना गया है कि जितनी रकम अवैध हो चुकी है उन सभी रकम को नए नोटो से बदल जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की 2012 में जारी ‘भारत और विदेश में काले धन से निपटने के उपाय’ की 109 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘लोगों की एक प्रमुख मांग है कि उच्च मूल्य के नोट खासतौर से 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को वापस लिया जाए। लेकिन ऐसा देखा गया है कि रुपये के विमुद्रीकरण से काले धन की समस्या का समाधान नहीं होता। क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति, सर्राफा और आभूषण के रूप में होती है।’

इसमें आगे कहा गया कि ऐसे किसी कदम का उल्टा असर होता है। इनमें नोट छपाई का खर्च का बैंकिंग प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ता है, खासतौर से ढुलाई के मुद्दों को लेकर। नकदी रकम को लाना-ले जाना एक मुश्किल प्रक्रिया है। विमुद्रीकरण से जनता को असुविधा होती है और दैनिक मजदूरी का वितरण प्रभावित होता है। इसमें कहा गया था, ‘पहले भी 1946 और 1978 में विमुद्रीकरण किया गया था। जो कि बुरी तरह विफल रहे थे और 15 फीसदी से भी कम नोट बदलने के लिए आए। इनमें से 85 फीसदी नोट कभी बाहर आए ही नहीं, क्योंकि उनके मालिकों को सरकारी एजेंसी द्वारा कार्रवाई का डर था।’

ज़रूरी सूचना:
कृपया 2000 या 500 के नए नोट के नकली होने से संबंधित किसी तरह की अफवाह न फैलाएं। अगर आपके पास नोट बदलने या नए नोट से संबंधित किसी भी तरह के सवाल हैं तो आप नीचे दिए गए Toll Free नंबर पर रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) से संपर्क कर सकते हैं या फिर नीचे दी गई Email ID पर भी अपने सवाल भेज सकते हैं।

RBI Control Number
Mumbai : 022-226602201, 022-22602944
Delhi : 011-23093230
Email id: bankquery@rbi.org.in

 

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