उत्तर प्रदेश

पॉवर प्लांटों में प्रदूषण के मानक और सख्त

pollutionपनकी पॉवर प्लांट अब नए मानक के आधार पर खुद को ढालने की योजना बना रहा है। दरअसल यहां स्थापित 105 मेगावाट क्षमता वाली दो यूनिटें अपनी मियाद करीब 13 साल पहले ही पूरी कर चुकी हैं। प्लांट के इर्द-गिर्द रहने वाले लाखों बाशिंदों को उड़ने वाली राख के चलते बीमारियों की जद में आना पड़ रहा है। पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण के नए मानक निर्धारित कर दिए हैं। अभी तक पुरानी चिमनी से फ्लाई ऐश निकलने का मानक 150 पीपीएम तक मान्य था, लेकिन अब इसे घटाकर 100 पीपीएम कर दिया गया है। पुराने इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रेसीपिटेटर को हटाकर हाईटेक गुणवत्ता वाला यंत्र लगाने के लिए कह दिया गया। स्थान ज्यादा घेरने की वजह से इस यंत्र को प्लांट के अंदर लगाने में असुविधा होगी। ऐसे में प्लांट प्रबंधन दूसरा रास्ता निकालेगा। प्लांट के महाप्रबंधक एचपी सिंह ने बताया कि नए मानक का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। यह सच है कि पुरानी यूनिटों इसका पालन से थोड़ा मुश्किल है लेकिन बेहतरी के लिए मंत्रालय के हर आदेश को प्रभावी बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने फिर लिखा मंत्रालय को पत्र : पनकी पॉवर प्लांट में प्रस्तावित 660 मेगावाट की इकाई को जल्द एनओसी मिल जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री ने फिर से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को पत्र लिखा है। उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक अयोध्या प्रसाद मिश्र ने बताया कि सीएम की ओर से प्रस्तावित प्लांट के लिए पैरवी शुरू हो चुकी है। अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है लेकिन कुछ न कुछ हल जल्द ही निकलने की उम्मीद है।

 

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