छत्तीसगढ़ में डिफॉल्टरों ने मौका पाकर जमा कराए 500 करोड़ रुपए!
पराग मिश्रा, रायपुर। बाजार से 500-1000 के नोट बंद होने से बड़े-बड़े कर्जदार और डिफाल्टर नोट खपाने में लग गए हैं। वे इन दिनों बड़ी तेजी से अपना कर्ज चुकाने में लग गए हैं। हालात ये हो गए हैं कि पहले जिनसे कर्ज वसूलने बैंकों को लगातार फोन करना पड़ता था, नोटिस भिजवाना पड़ता था, इन दिनों वे स्वयं ही संपर्क कर रहे हैं। बैकों में अब लोन अकाउंट में 500 करोड़ से अधिक की राशि आ चुकी है।
8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए हैं। इसके चलते पूरे बाजार में सनसनी मची हुई है। हर कोई अपना 500 और 1000 का नोट खपाने में लगा हुआ है। इसी दौड़ में अपनी बेहिसाब राशि बैंकों में जमा क रने के साथ ही इन दिनों बड़े-बड़े कर्जदार व डिफाल्टर घोषित हो चुके लोग भी आगे आ गए हैं। बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि इनमें बिल्डरों व उद्योगपतियों के साथ ही विभागीय अधिकारी भी शामिल हैं, जो इस मौके का फायदा कर्ज चुकाने के साथ ही 500 और 1000 के नोट खपाने में लगे हैं।
इस प्रकार से आ रहे कर्जदाता
1-बैंक अधिकारियों से इन दिनों बड़े कर्जदार अपना लोन पटाने संपर्क कर रहे हैं। बैंक वाले भी उनकी जमा राशि लेकर आसानी से उनके लोन अकाउंट में जमा कर दे रहे हैं।
2-पिछले दिनों एक बड़े अस्पताल समूह ने भी अपनी बकाया करोड़ों की राशि बैंक में जमा की है।
3-रियल एस्टेट कंपनियों से जुड़े कारोबारियों के साथ ही कर्ज में फंसे उद्योगपति भी इन दिनों अपना कर्ज चुकाने में लगे हैं।
नोटबंदी से पहले
कर्ज देकर रिकवरी करने में बैंक लगातार पिछड़ते जा रहे थे। इसके चलते बैंकों के एनपीए भी लगातार बढ़ते जा रहे थे। आरबीआई भी बैंकों को सही ढंग से रिकवरी न कर पाने के कारण पहले कई बार फटकार लगा चुकी है। कुछ बैंकों को तो आरबीआई ने सीधे ही कह दिया था कि वे अपना एनपीए सुधारें और रिकवरी में तेजी लाएं। इसके बाद भी बैंकों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था।
नोटबंदी के बाद
नोटबंदी के बाद इलाहाबाद बैंक, देना बैंक, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई सहित कई निजी बैंकों में कर्जदार और डिफाल्टर स्वयं ही बैंक से संपर्क कर रहे हैं। अब तक लोन अकाउंट में ही करीब 500 करोड़ से अधिक की राशि जमा हो गई है।
रकम रोजाना 6 करोड़ बढ़ रही
बैंकों में पिछले दस दिनों से रोजाना जमा होने वाली राशि औसतन 6 करोड़ रुपए बढ़ती जा रही है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि इनमें कर्जदारों के साथ ही दूसरे लोग भी शामिल हैं, जो अपने 500 और 1000 का नोट खपाने में लगे हुए हैं।