15 लाख लोगों की विकलांगता दूर कर चुके 5 दिव्यांग
मुलताई। विकलांगता का दंश क्या होता है यह एक दिव्यांग व्यक्ति ही बता सकता है, लेकिन दंश झेलने के बाद कोई अन्य लोगों की विकलांगता दूर करने का बीड़ा उठा ले तो इससे बड़ा साहस और परोपकार दूसरा कोई नहीं हो सकता। कृत्रिम अंग निर्माण के लिए विख्यात जयपुर फुट के पांच टैक्निशियन ने यही बीड़ा उठाया है। जिन्होंने कुछ ही वर्षों में लगभग 15 लाख कृत्रिम पैरों का निर्माण कर लोगों की विकलांगता दूर करने में अहम भूमिका निभाई है।
वर्तमान में लायंस क्लब द्वारा गुरुवार आयोजित दिव्यांग शिविर में पांच दिव्यांग टैक्निशियन में से दो टैक्निशियन अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्षों से कृत्रिम अंग निर्माण में लगे कोटा निवासी देवकिशन नागर ने बताया कि वर्षों पूर्व उनका थ्रेसर में पैर आने से पैर काटना पड़ा। इसके बाद उन्हे बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन जयपुर फुट से जब उनका कत्रिम पैर मिलने के बाद उनकी समस्याएं कम हो गई। इससे उन्होंने यह तय किया कि अब वे कत्रिम अंग बनाकर लोगों की विकलांगता दूर करने में सहयोग करेगें। उन्होंने बताया कि फिलहाल उनकी टीम में पांच विकलांगों में से उनके सहित दो दिव्यांग टैक्निशियन मुलताई में सेवाएं दे रहे हैं।
स्पेशल पाइपों से बनते हैं कृत्रिम अंग
लायंस क्लब मुलताई द्वारा सरकारी अस्पताल में आयोजित दिव्यांग शिविर में दिव्यांगों के भंग अंगों का नाप लेकर मौके पर ही कृत्रिम अंगों का निर्माण किया जा रहा है। इस संबन्ध में अंग निर्माण करने वाले टैक्निशियन केशव कुमार सोनी ने बताया कि उनके साथ 10 लोगों की टीम काम कर रही है। इसमें अंग निर्माण के लिए एचडीईपी कंपनी द्वारा स्पेशल पाइपों का निर्माण किया जाता है साथ ही विशेष प्रकार की पीओपी का भी अंग निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। केशव सोनी के अनुसार पहले दिव्यांग के भंग अंग का नाप लेकर एक ढांचा तैयार किया जाता है। इसमें पीओपी से सांचा बनाया जाता है ।
पंजीयन कराने आ रहे दिव्यांग
लायंस क्लब द्वारा आयोजित दिव्यांग शिविर में नगर एवं क्षेत्र सहित पूरे जिले से विकलांग पहुंच रहे हैं। गुरुवाार से प्रारंभ शिविर तीन दिनों तक चलेगा। इसके तहत शनिवार विकलांगों को कृत्रिम अंग वितरित किए जाएगें। लायंस क्लब के दीपेश बोथरा, राहुल अग्रवाल, जयेश संघवी सहित नवनीत मंगरूलकर ने बताया कि शिविर को व्यापक प्रतिसाद मिल रहा है तथा बडी संख्या में पंजीयन हो रहे हैं।