जम्मू/श्रीनगर । जम्मू एवं कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और इसकी सहयोगी कांग्रेस के बीच वर्षों पुराना गठबंधन राज्य में हाने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही टूट गया। दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। यह ऐलान रविवार को किया गया। गठबंधन से अलग होने की घोषणा कांग्रेस ने जम्मू में की। वहीं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने नेशनल कांफ्रेस के फैसले से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 1० दिन पहले ही अवगत करा दिया था। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद अंबिका सोनी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने यहां कहा कि पार्टी सभी 87 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। आजाद ने मीडिया से कहा ‘‘गठबंधन की राजनीति हमेशा दबाव की राजनीति होती है और इसलिए हमने अगले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन न करने का फैसला लिया है।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि कांग्रेस कश्मीर घाटी में तीन पार्टियों हकीम मुहम्मद यासीन की पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) गुलाम हसन मीर की डेमोक्रेटिक पार्टी-नेशनलिस्ट (डीपीएन) और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ चुनावी समझौता करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा कि कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने शनिवार को उमर अब्दुल्ला नीत सरकार में कुछ कांग्रेस मंत्रियों के प्रति नाराजगी जाहिर की थी। अंबिका सोनी ने कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा निर्वाचित सदस्य और हाईकमान आपसी सहमति से करेंगे लेकिन अभी नहीं चुनाव के बाद। कांग्रेस के पास कश्मीर में 17 विधायक हैं। इधर उमर ने रविवार को कहा कि उन्होंने 1० दिन पहले ही सोनिया गांधी को यह संदेश दे दिया था कि उनकी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उमर ने ट्विटर पर लिखा ‘‘मैंने 1० दिन पहले सोनिया से मुलाकात कर उनके समर्थन के लिए आभार जताया था। मैंने पार्टी के राज्य में अकेले लड़ने के फैसले की बात उन्हें बताई थी।’’ उन्होंने कहा ‘‘मैंने वजह बताई साथ ही यह भी बताया कि मैं इसकी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं करूंगा क्योंकि मैं अवसरवादी नहीं दिखना चाहता।’’ उमर ने कहा ‘‘गठबंधन से अलग होने का फैसला हमारा है इसे कांग्रेस के फैसले के रूप में देखना गलत होगा। कृपया सच को गलत तरीके से पेश न किया जाए।’’