कभी सरकार ने भी माना था Father Of Nation का कोई आधिकारिक स्टेटस नहीं
लखनऊ. अब इसे सरकारों की उदासीनता कही जाए या फिर राजनीती, आज तक महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का आध्कारिक दर्जा नहीं दिया जा सका है. हाल ही में खादी आयोग के कलेंडर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चरखा चलाते तस्वीर आने पार काफी विवाद हुआ और लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध भी किया.
साल 2012 में लखनऊ की रहने वाली एक छात्रा एश्वर्या ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि पहली बार महात्मा गाँधी को ‘राष्ट्रपिता’ कब कहा गया. ऐश्वर्या की इस जानकारी के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस चिट्ठी को गृह मंत्रालय को भेज दिया, गृह मंत्रालय ने सभी प्रकार के रेकॉर्ड्स रखने वाले ‘ national archives of india’ को यह आरटीआई भेज दी. और अंत में ऐश्वर्या को चौंकाने वाला जवाब मिला कि सरकारी रिकार्ड्स में ऐसी कोई जानकारी दर्ज ही नहीं. बता दें कि उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी.
दरअसल, स्कूल में अपनी क्लास में गाँधी जी के बारे में लेसन पढने वाली ऐश्वर्या को अचानक जिज्ञासा हुई थी कि महात्मा गाँधी को पहली बार कब और किसने ‘राष्ट्रपिता’ यानि ‘father of nation’ कहा था? स्कूल, आसपास, घर-परिवार और दोस्तों से जब उसे कोई जवाब नहीं मिला तो उसने इन्टरनेट पर इसका जवाब तलाशा. यहां भी निराशा हाथ लगने पर उसने आरटीआई लगाने की सोची. जो जावाब मिला वह अपने आप में चौंकाने वाला था.बापू को पहली बार ‘महात्मा’ कब कहा गया, इसके बारे में जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक 1914 में पहली बार उन्हें गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर ने महात्मा कहा था. इसी तरह उन्हें राष्ट्रपिता कहे जाने के बारे में जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक, पहली बार जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें ‘ राष्ट्रपिता’ लिखा था. साथ ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के 1944 में रंगून में दिए गए एक भाषण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था.