भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में मौजूदा शीतलहर की तरह जारी ठंडक के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत अकेला शांति की राह अपनाते हुए पाकिस्तान के साथ नहीं चल सकता। पड़ोसी देश यदि द्विपक्षीय वार्ता का इच्छुक है तो उसे भी आतंकवाद की राह छोड़नी होगी।
चीन के साथ रिश्तों के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि दो बड़ी पड़ोसी शक्तियों के लिए कुछ मुद्दों पर असहमत होना अस्वाभाविक नहीं है लेकिन दोनों पक्षों को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों का सम्मान करना चाहिए। पीएम मोदी भारत के महत्वाकांक्षी भू-राजनीतिक सम्मेलन रायसीना डायलॉग के तीन दिवसीय उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन में विश्व के शीर्ष विदेशी एवं सुरक्षा विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं।
पाकिस्तान के संबंधों पर मोदी ने कहा, ‘पाकिस्तान को शांति का मार्ग अपनाना होगा और भारत का रुख इस क्षेत्र से आतंकवाद को अलग-थलग करना तथा अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच कृत्रिम अंतर को खारिज करने का रहा है। अब यह वैश्विक चर्चा का भी विषय हो गया है। अपने पड़ोसी देशों के लिए हमारा नजरिया संपूर्ण दक्षिण एशिया में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंधों को प्राथमिकता देने का है। यही दृष्टिकोण अपनाते हुए मैंने शपथग्रहण कार्यक्रम में पाकिस्तान सहित सभी सार्क देशों के नेताओं को आमंत्रित किया था।’
‘भारत अकेला शांति के पथ पर नहीं चल सकता’
उन्होंने कहा, ‘यही नजरिया रखते हुए मैंने लाहौर की यात्रा की। लेकिन भारत अकेला शांति के पथ पर नहीं चल सकता। इस पर पाकिस्तान को भी चलना होगा। पाकिस्तान यदि भारत के साथ बातचीत बढ़ाना चाहता है तो उसे आतंकवाद से दूर रहना होगा।’
पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि हमारे जो भी पड़ोसी देश हिंसा को समर्थन देंगे, नफरत को हवा देंगे और आतंकवाद का निर्यात करेंगे, उन्हें अलग-थलग और उपेक्षित ही रहना होगा। अपने संबोधन में मोदी ने भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं, हिंद महासागर में सुरक्षा हितों और पड़ोसी देशों, खाड़ी के देशों तथा अमेरिका, चीन एवं रूस जैसी महाशक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों का भी जिक्र किया।
भारत-चीन संबंधों पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पास अभूतपूर्व आर्थिक अवसर हैं और तरक्की की राह पर आगे बढ़ने के लिए दोनों एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत और चीन के लिए दोनों देशों और पूरी दुनिया में अपार संभावनाएं देख रहा हूं। दो बड़ी पड़ोसी अर्थव्यवस्थाओं के बीच कुछ मुद्दों पर असहमत होना अस्वाभाविक नहीं है।
अपने संबंधों को सुधारने, क्षेत्र की शांति एवं प्रगति के लिए दोनों देशों को संवेदनशीलता दिखानी होगी और एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों का सम्मान करना होगा। पिछले ढाई वर्षों में हमने अमेरिका, रूस, जापान और अन्य बड़ी विश्व शक्तियों के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं और यह सब भारत की विदेश नीति तथा वैश्विक शांति के हित में है।’ पीएम मोदी ने कहा कि भारत की आर्थिक और राजनीतिक तरक्की क्षेत्रीय और वैश्विक अवसरों के लिहाज से काफी मायने रखती हे।