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सेना प्रमुख व केंद्र पर 5 करोड़ जुर्माना, सेकंड लेफ्टिनेंट का कोर्ट मार्शल रद्द

एक सेकंड लेफ्टिनेंट को झूठे आरोपों मं फंसाकर गलत तरीके से कोर्ट मार्शल करने और जेल भेजने के मामले में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार और सेना प्रमुख पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है।
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ट्रिब्यूनल की लखनऊ क्षेत्रीय बेंच ने सेकंड लेफ्टिनेंट शत्रुघ्न सिंह चौहान को बेदाग मानते हुए न सिर्फ उन्हें नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया, बल्कि प्रमोट करने का आदेश भी दिया।

जुर्माने की रकम में से 4 करोड़ याची को बतौर मुआवजा दिया जाएगा जबकि एक करोड़ रुपये सेना के केंद्रीय कल्याण फंड में जमा किया जाएगा। रकम चार महीने में अदा करनी है।

सैन्य न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और प्रशासनिक सदस्य जस्टिस एयर मार्शल अनिल चोपड़ा की खंडपीठ ने शत्रुघ्न सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

याचिका में मैनपुरी निवासी याची शत्रुघ्न सिंह ने रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। ट्रिब्यूनल में याचिका 2012 में ट्रांसफर्ड एप्लीकेशन के तौर पर आई थी।

1991 का है मामला

राजपूत रेजीमेंट में सेकंड लेफ्टिनेंट शत्रुघ्न सिंह चौहान श्रीनगर में तैनात थे। 11 अप्रैल 1990 को बटमालू मस्जिद के लगड़े इमाम के यहां से सोने के 147 बिस्किट बरामद ‌किए गए थे। कर्नल केआरएस पंवार और सीओ ने चौहान पर दबाव डाला कि वे इन्हें दस्तावेजों में न दिखाएं। बाकी अफसर भी चुप्पी साध गए।
तब याची ने मामला पार्लियामेंट कमेटी को भेजा। सेना मुख्यालय ने जांच कराई और कोर्ट ऑफ इन्‍क्वायरी के आदेश दिए। जांच के दौरान टेंट में सोते समय सेना के अफसरों ने कंबल ओढाकर याची को पीटकर अधमरा कर दिया। 1991 मं शुरू हुए कोर्ट मार्शल में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई।

जांच करवाएं सेना प्रमुख

ट्रिब्यूनल ने कहा कि याची के पिता के पत्र के आधार पर याची स्वतंत्र है कि वह सेना प्रमुख और एसपी श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) को प्रार्थना पत्र देकर अपने पर 11 अप्रैल 1994 को एके 47 राइफल से हुए हमले का केस दर्ज करवाए। साथ ही जांच के स्वतंत्र एजेंसी से करवाने का आग्रह करे।
 

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