तस्वीरें : सजा ही नहीं कैदियों के ‘हुनर’ को भी नया आयाम देती है तिहाड़ जेल
‘सुबह लिखती हूं शाम लिखती हूं, इस चारदीवारी में बैठी बस तेरा नाम लिखती हूं’ इन फासलों में जो गम की जुदाई है बस उसी को हर बार लिखती हूं’ ‘तिनका-तिनका तिहाड़’ से ली गई इन पंक्तियों में सलाखों के पीछे रहने का एक छुपा दर्द कविता के रूप पिरोकर बयां किया गया है। क्या आपने कभी जेल के उस माहौल को महसूस किया है जहां आप एक दुनिया का हिस्सा होकर भी, एक ऐसी अकेली जगह पर हैं जहां की दीवारों से भी लोग बचकर चलना पसंद करते हैं और शायद यहां रहने वाले कैदियों के लिए दुनिया की सबसे प्यारी चीज है ‘आजादी’|
जिसे हम जैसे बाहर की दुनिया में रहने वाले लोग नहीं समझ सकते। लेकिन क्या आप जानते हैं एशिया की सबसे बड़ी जेल माने जाने वाली तिहाड़ में ऐसे कई काम किए जाते हैं जो तिहाड़ को बंदीगृह नहीं बल्कि सुधारगृह के रूप में दर्शाते हैं। कल्पना से परे सलाखों के पीछे छुपी तिहाड़ की कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों पर एक नजर डालते हैं।
दीवार पर चित्रकारी से उतारी हुई अनकही कहानियां
अगर आप तिहाड़ जेल के पास से गुजेरेंगे तो आपकी नजर यहां की दीवारों पर उतारी गई सुदंर चित्रकारी और रंगीन शब्दों पर जरूर पड़ेगी। यहां दीवारों पर अंकित कुछ शब्द तो ऐसे हैं जो एक शब्द होने पर भी अपनी कहानी बयां कर देते हैं।जैसे तिहाड़ की एक कैदी सीमा रघुवंशी द्वारा अंकित एक कविता की पंक्ति ‘सुबह लिखती हूं शाम लिखती हूं’ राहगीरों को जरूर आकर्षित करती है। वहीं रंगीन शब्दों में लिखा ‘चारदीवारी’ शब्द में इन कैदियों का दर्द छलकता है।
बदं कमरों में छुपा हुनर
तिहाड़ के कैदियों द्वारा नक्काशी और चित्रकारी से तैयार बनावटी सामान तैयार किए जाते हैं। जिसे अलग- अलग जगह मौजूद तिहाड़ हाट में बेचा जाता है। यही नहीं खाने-पीने के सामान जैसे बिस्कुट, नमकीन, बूंदी, मिठाई आदि को ‘टीजे’ ब्रांड के नाम से तिहाड़ हाट में बेचा जाता है।बताया जाता है ‘टीजे’ प्रॉडक्ट के लिए तिहाड़ का सालाना टर्नओवर 30-40 करोड़ रुपए है। जिसमें 10-11 घंटे काम करने के बदले कैदियों को 128 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती है।
तिहाड़ फूड कोर्ट में चखिए कैदियों के हाथ का खाना
अगर आप खाने-पीने के शौकीन है तो एक बार तिहाड़ फूड कोर्ट का खाना भी जरूर चख कर आइए। घर जैसे खाने का लजीज अनुभव लेने के बाद आप एक बार इन कैदियों के बारे में जरूर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।हांलाकि यहां काम करने वाले कुछ कैदियों का कहना है कि अधिकतर लोग हमारे हाथों से बनाए गए खाने को तिरछी नजर से देखते हैं। साथ ही उनका मानना होता है कि हमारे हाथों न जाने कितने ही अपराध हुए होंगे लिहाजा अपराधियों के हाथों से बना खाना वो कैसे खा सकते हैं।
कैदियों के हुनर को पहचान देता ‘तिहाड़ आइडल’
आपने टी.वी पर ‘इंडियन आइडल’ टैलेंट हंट का नाम तो जरूर सुना होगा लेकिन अगर कोई आपसे ‘तिहाड़ आइडल’ के बारे में बात करे तो आप उलझन में पड़ जाएंगे, लेकिन ये सच है सिंगिंग, डांसिंग, एक्टिंग आदि हुनर होने पर तिहाड़ कैदियों को तिहाड़ में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता ‘तिहाड़ आइडल’ में परफॉर्म करने का मौका दिया जाता है। 2012 से शुरू हुए इस रोमांचक टैलेंट हंट की शुरुआत में मशहूर गायक सोनू निगम ने अपनी मौजूदगी से सभी लोगों में जोश भर दिया था।