ट्रंप के आदेश से आहत हुई नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई
अमेरिका में शरणार्थियों के प्रवेश को अस्थायी तौर पर चार महीने के लि प्रतिबंधित कर दिया गया है। डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा ने मलाला युसुफजई को आहत कर दिया है।
न्यूयार्क। पाकिस्तानी छात्र कार्यकर्ता और नोबल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रिफ्यूजी संबंधित घोषणा से दुखी हैं।
मलाला ने अमेरिकी राष्ट्रपति से दुनिया के सर्वाधिक बेसहारों से सहारा न छीनने का आग्रह किया है और कहा है कि इस मामले में अमेरिका का गौरवशाली इतिहास रहा है और यहां आने वाले सभी शरणार्थियों को उचित हक मिला है पर अब राष्ट्रपति ट्रंप की नई घोषणा से ‘मेरा दिल टूट गया है।‘
अपने देश में लड़कियों की शिक्षा के लिए सार्वजनिक तौर पर वकालत करने वाली मलाला 2012 में तालिबान के गोली का शिकार बनी थी। 19 वर्षीय मलाला ने कहा,’हिंसक हालातों से बचकर उनकी शरण में आने वाले माता,पिता व बच्चों के लिए दरवाजा बंद करने वाली ट्रंप की घोषणा से मैं आहत हूं।‘
मलाला ने कहा कि इस वक्त जब दुनिया में चारों ओर अशांति है मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बेघर और बेसहारा लोगों के लिए आग्रह करती हूं कि उनके लिए वे अपना दरवाजा बंद न करें।भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ नोबल पीस से सम्मानित युसुफजई सबसे कम उम्र की पुरस्कार विजेता हैं। अभी मलाला इग्लैंड में रह रही हैं और उन्होंने कैंपेनर के तौर पर पूरी दुनिया का भ्रमण किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को सीरिया समेत 6 अन्य मुस्लिम बाहुल देशों- ईरान, ईराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के शरणार्थियों की अमेरिका में प्रवेश करने पर चार महीने की अस्थाई रोक लगा दी है। ट्रंप का कहना है कि आतंकी हमलों से अमेरिकी नागरिकों की रक्षा करने के लिए यह जरूरी कदम उठाया गया है।
मलाला ने कहा सीरियाई रिफ्यूजी बच्चे जिन्होंने बिना किसी गलती के 6 साल तक हिंसक युद्ध वाले वातावरण को सहा है उनके लिए यह उचित नहीं होगा।उन्होंने अपनी एक दोस्त का नाम लिया जो यमन के सोमालिया और इजिप्ट से बचकर अमेरिका में अध्ययन के लिए आयी थी जहां उसे अपनी बहन से मिलने की उम्मीद थी। आज ट्रंप के इस घोषणा के बाद बहन के साथ उस मुलाकात की उम्मीद कम हो गयी है।