पिछले 16 साल में यहां रेल योजनाएं आज भी बेपटरी हैं। आज रेल बजट आने वाला है और हर राज्य की तरह उत्तराखंड को भी इसका इंतजार है।
देहरादून: इसे देहरादून समेत पूरे गढ़वाल मंडल के यात्रियों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि पिछले 16 साल में यहां के लिहाज से बनी रेल योजनाएं आज भी बेपटरी हैं। आज रेल बजट आने वाला है और हर राज्य की तरह उत्तराखंड को भी इसका इंतजार है।
उम्मीद थी कि शायद इस बार कुछ खास मिल जाए। यह संभव भी था, मगर आचार-संहिता का पेंच आड़े आ गया। प्रदेश में चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार उत्तराखंड के लिए किसी नई योजना का एलान नहीं कर पाएगी।
ऐसे में फाइलों में कैद दून स्टेशन का विस्तारीकरण, दून-कालसी रेलवे लाइन से लेकर हरिद्वार-देहरादून डबल लाइन व दून से सुपरफास्ट ट्रेन के प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में दिख रहे हैं।
रेल बजट को लेकर एक मर्तबा फिर गढ़वाल मंडल की नजर केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु के पिटारे पर थी। उम्मीद थी कि शायद इस बार मोदी सरकार की इस पर्वतीय राज्य पर मेहरबानी हो जाए और कुछ नया मिले। यहां के लिए कई सालों से प्रस्तावित रेल योजनाओं को हरी झंडी मिल जाए, ताकि मुसाफिरों की राह आसान हो सके।
दून रेलवे स्टेशन की क्षमताओं से रेल मंत्रालय भी वाकिफ है, मगर अफसोस यह है कि मंत्रालय ने आज तक उन तमाम योजनाओं में दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसे खुद मंत्रालय ने तैयार किया था। इसकी बानगी है दून रेलवे स्टेशन के विस्तारीकरण की योजना, जो मंत्रालय की बेरुखी व विभागीय लापरवाही का खामियाजा भुगत रही है।
ट्रेनों व यात्रियों का बोझ बढ़ने की वजह से स्टेशन का विस्तार और सौंदर्यीकरण समेत प्लेटफार्मों की लंबाई बढ़ाई जानी थी, लेकिन फिलवक्त ऐसा कुछ होता नहीं दिखता। सुपरफास्ट का प्रस्ताव भी गुम दून से चलने वाली गाडिय़ों को सुपर फास्ट बनाने व हरिद्वार तक आने वाली लंबी दूरी की गाड़ियों को दून तक पहुंचाने के प्रस्ताव भी हवा में गुम हैं।
मुंबई जाने वाली बांद्रा एक्सप्रेस को सुपर फास्ट करने का प्रस्ताव फाइलों में कैद पड़ा है। वहीं, हरिद्वार तक आने वाली जम्मू तवी को दून तक लाने व लखनऊ से देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस का प्रस्ताव भी फाइलों में धूल फांक रहा है।
दून-कालसी रेल लाइन का क्या होगा
देहरादून से विकासनगर-कालसी रूट की काफी अहमियत होने के बावजूद इस रूट पर रेलवे चुप्पी साधे हुए है। सालों से इस रूट पर रेलवे लाइन बिछाने की मांग की जा रही है। वर्ष 2009 में रेलवे प्रशासन ने रूट का सर्वे कराया और रिपोर्ट में लगभग डेढ़ सौ किमी तक रेलवे ट्रैक बिछाए जाने की बात सामने आई। इसके बाद ये प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा।
दून-हरिद्वार डबल-लेन भी ‘फेल’
करीब आठ साल पहले दून से हरिद्वार तक रेलवे लाइन को डबल-लेन करने का प्रस्ताव बना। प्रस्ताव को अव्यवहारिक मानते हुए रेलवे प्रशासन ने इसे टर्न-डाउन कर दिया। गनीमत ये रही कि विद्युतीकरण का प्रस्ताव पास हो गया। वर्तमान में यह काम पूरा हो चुका है।