कमजोर दिल बन सकता है सशक्त
क्या हैं कारण और लक्षण
हृदय के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे हार्ट अटैक और उससे जुड़ी जटिलताएं और वायरल इंफेक्शन आदि शामिल हैं, जो केवल मांसपेशियों के कुछ हिस्सों ंको ही नहीं, पूरे हृदय को प्रभावित करते हैं। शराब, ड्रग्स, हृदय की असामान्य बनावट, जिसे (एआरवीडी) कहा जाता है, या खास प्रकार के मिनरल जैसे-आयरन आदि का अत्यधिक मात्रा में जमा होना भी हार्ट फेल्योर का कारण है।
70 से 80 प्रतिशत मामलों में हार्ट फेल्योर हार्ट अटैक से जुड़े परिणामों के कारण ही होते हैं। सिकुड़ी हुई धमनियों के कारण ह्नदय तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। इससे हृदय को अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है, जिससे एंजाइना (सीने में दर्द) होता है। धमनियों में पूरी तरह से अवरोध की वजह से जोरदार हार्ट अटैक आता है और उसके बाद हार्टफेल्योर हो जाता है।
बात रोकथाम और उपचार की शुरुआती अवस्था में पता चलने और हृदय संबंधी रोगों का समय रहते समुचित इलाज व प्रबंधन करने से हार्ट फेल्योर (हृदय का सुचारु रूप से कार्य न करना) की रोकथाम करने में मदद मिलती है। लोगों में इस रोग के प्रति जागरूकता पैदा करके और स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रमों के जरिये इस रोग क ा शुरुआती दौर में ही पता लगाने में मदद मिलती है। हार्ट फेल्योर के रोगियों के लिए अब पूर्व की तुलना में अनेक नवीनतम और बेहतर दवाएं उपलब्ध हैं।
जोखिम भरे कारकों-जैसे हाई ब्लडप्रेशर,डायबिटीज, और हृदय धमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज) का समुचित प्रबंधन करने से हार्ट फेल्योर की रोकथाम संभव है। हार्ट फेल्योर के नवीनतम इलाज में बेहतर और नवीनतम दवाओं के अलावा इंटरवेंशन (एंजियोप्लास्टी) और कार्डिएक रीसिनक्रोनाइजेशन थेरेपी (एक विशिष्ट आधुनिकतम पेसमेकर) और स्टेम सेल थेरेपी (अभी इसका परीक्षण जारी है) का प्रयोग किया जाता है।