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मनमोहन की पुत्री का बयान, मेरे पापा कमजोर इंसान नहीं

mannu daughterनई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री दमन सिंह ने कहा है कि उनके पिता किसी भी तरह से कमजोर इंसान नहीं हैं। सिंह ने अपने अभिभावकों पर लिखी पुस्तक श्स्ट्रिक्ट्ली पर्सनल मनमोहन एंड गुरशरणश् में यह बात कही है। उन्होंने पुस्तक में डॉक्टर सिंह के जीवन से जुड़ी कई बातों का खुलासा किया है। उन्होंने एक अंग्रेजी दैनिकको दिये साक्षात्कार में कहा कि उनके पिता एक मजबूत शख्सियत के इंसान हैं और वह किसी भी स्थिति में हार नहीं मानने वाले व्यक्ति हैं। सिंह ने कहा कि उसके पिता चुनौतियों से नहीं घबराते और दृढ़तापूर्वक उनका मुकाबला करते हैं। डॉक्टर सिंह के नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने के वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि मेरे पापा के पास राव का फोन आया और रातों रात वह वित्त मंत्री बन गये। सिंह ने कहा कि जिस समय उनके पिता ने वित्त मंत्री का पद संभाला, उस समय देश की खस्ता हाल आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं थी वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश करने के लिये उनके पास मात्र एक महीने का वक्त था। सब ठीक ठाक हो गया, किन्तु राव के सहयोग के बगैर उनके पिता कुछ नहीं कर सकते थे। देश को उस जर्जर स्थिति से निकालने के लिये विचार भले ही उनके पिता के सुझाये हुए थे, लेकिन राव ने राजनीतिक रूप से इसे साकार किया गौरतलब है कि पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी आने वाली किताब में डॉक्टर सिंह पर कई सवाल उठाये हैं। सिंह ने 2009 के आम चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि चुनावों से पहले डॉक्टर सिंह ने मजाकिया अंदाज में कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि हम फिर से विजयी होकर सत्ता में आयेंगे। डॉक्टर सिंह का मानना है कि लोकतंत्र और गठबंधन में बड़े निर्णय तभी लिये जा सकते हैं, जब जनता और पार्टियां आपका साथ दे। डॉक्टर सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा है कि उनके पिता का सार्वजनिक जीवन 40 साल लंबा रहा और इसमें केवल दस वर्ष ही तो प्रधानमंत्री के रूप में थे। सिंह ने कहा कि उनके पिता का हमेशा यह मानना रहा कि देश की अल्पमत की सरकार ने आर्थिक नीतियों को पूरी तरह से बदल दिया। डॉक्टर सिंह की यह सोच थी कि अगर प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें पांच साल और मिलते, तो और कुछ बेहतर कर सकते थे। उल्लेखनीय है कि डॉक्टर सिंह को देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में देखा जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान महंगाई को लेकर उनकी आर्थिक नीतियों की विपक्षी दलों ने जमकर आलोचना भी की।

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