अपराध

ये है देश की पहली लेडी सीरियल किलर, जेल में शशिकला बनीं पड़ोसन

अपने तमाम दांवपेंचों के बाद भी तमिलनाडु में सीएम की कुर्सी पर बैठने से वंचित रह गई शशिकला आज बंगलूरू की एक जेल में बंद हैं। कुछ दिन पहले तक चेन्नई के पोज गार्डन में शाही जीवन बिताने वाली शशिकला को जेल के जिस हिस्से में रखा गया है वहां खुंखार अपराधियों को रखा जाता है।
उनकी पड़ोसन भी एक ऐसी महिला बनी है जिसे देश की पहली लेडी सीरियल किलर माना जाता है। कई दुर्दांत हत्याओं में शामिल रही इस लेडी किलर को जरायम की दुनिया में साइनाइड मल्लिका के नाम से जाना जाता है। एक दौर में साइनाइड मल्लिका द्वारा अंजाम दी गई घटनाएं अखबारों के पन्नों पर खूब सुर्खियां बटोरती थीं। चलिए आपको बताते हैं अपराध की उस मल्लिका के बारे में जिसने जरायम की दुनिया के पन्नों पर नई इबारत लिख दी। 

हमर्ददी के नाटक से फंसाती थी अपने निशानों को

लोगों की हमदर्द बनकर धोखा करने वाली इस लेडी किलर के हत्या करने का तरीका काफी अलग था। इसका असली नाम केजी केम्पम्मा है और वो बैंगलोर की रहने वाली है। मीडिया की खबरों के मुताबिक मल्लिका साइनाइड खिलाकर लोगों की हत्या करती थी।

खूनी मंजर को हमेशा दिमाग में रखने वाली मल्लिका का टारगेट हमेशा महिलाएं हुआ करती थीं। उसने साल 1999 से लेकर 2007 के बीच छह महिलाओं का बेरहमी से कत्ल किया था। उसने सभी को साइनाइड खिलाकर ही मौत के घाट उतारा था।

मंदिरों पर खोजती थी अपने निशाने 

मल्लिका, मंदिरों में आने वाली उन महिलाओं पर नजर रखती थी, जो अपने घर से परेशान होती थीं। परेशान महिला को वो अपने झांसे में फंसा कर हमदर्दी से उनका विश्वास जीत लेती और कहती थी कि पूजा-पाठ से वो सब ठीक कर देगी। वह अमीर महिलाओं को पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए गहने पहनकर मंदिर आने के लिए कहती थी। 

इसके बाद वो अपने निशानों को उनके घर से काफी दूर ले जाती थी। वहां पहुंचने के बाद वो पूजा-पाठ करने लगती और मौका देखते ही उनके खाने में साइनाइड मिला कर उनका कत्ल कर देती थी। 
इसके लिए मल्लिका गहनों की सफाई करने वाले साइनाइड का इस्तेमाल करती थी।

अमिर महिलाओं को फंसाती थी अपने मायाजाल में 

मल्लिका का आखिरी निशाना एक महिला थी जिसने बच्चा नहीं हो रहा था। बच्चा होने के दावे के चलते पीड़ित महिला मल्लिका के मायाजाल में फंस गई। मल्लिका ने साल 2007 में उसे मौत के घाट उतार दिया। बता दें कि मल्लिका को इन सभी हत्याओं के आरोप में 2012 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन बाद में उसे उम्रकैद में बदल दिया गया।

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