जटिल सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश
अनिल सिन्हा
पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में मणिपुर ही एक ऐसा राज्य है जिसके समीकरण बाकी राज्यों से थोड़े अलग हैं। आदिवासी समूहों के आपसी टकराव के कारण राज्य की राजनीति काफी जटिल रही है। मणिपुर की सीमा से सटे नागालैंड के साथ जुड़ने के लिए इस राज्य के नागा राज्य सरकार से टकराते रहते हैं और यह एक हिंसक रूप अख्तियार कर लेता है। नागा और कुकी का संघर्ष राज्य की शांति के लिए सदैव खतरा बना रहता है। मणिपुर के उग्रवादी समूहों के आंदोलन के कारण राज्य का केंद्र सरकार से टकराव रहता है। हाल ही में राज्य सरकार ने सात जिलों का निर्माण किया था जिसके खिलाफ यूनाइटेड नागा कौंसिल ने सीमाबंदी कर दी थी और मणिपुर का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया था। मणिपुर के लोग तीन महीने तक बेहाल रहे। नागा कौंसिल का आरोप है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने यह कदम नागा बहुल इलाकों में मैतेई समुदाय का बहुमत बनाने के लिए किया है। नागा-विरोध का मुद्दा राज्य के चुनावों को प्रभावित करने वाला है क्योंकि बहुसंख्यक मैतेई समुदाय नागा विरोध की राजनीति को ही समर्थन देगा। कांग्रेस इस बात का प्रचार भी कर रही है कि नागालैंड में गठबंधन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी मणिपुर में नागा हितों के लिए काम करेगी।
वैसे विधानसभा चुनावों के लिए किए जा रहे सर्वे भाजपा की बढ़त दिखा रहे हैं। इंडिया टुडे-एक्सिस के सर्वे ने तो उसे राज्य की 60 सीटों में से 35 सीटें दिला दी है। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस 20-22 सीटों पर सिमट जाएगी। कांग्रेस ने 2012 के चुनावों में 40 सीटों पर विजय हासिल की थी। हालांकि सर्वे सीमाबंदी के पहले किया गया था।
राज्य में मुसलमानों की आबादी छह प्रतिशत है और करीब 18 विधानसभा सीटों पर उनका वोट मायने रखता है। भाजपा ने भी एक सीट पर मुसलमान उम्मीदवार उतारा है। लेकिन मुसलमानों का मत भाजपा को मिलने की क्षीण संभावना है। अगर मैतेई समुदाय ने भाजपा को नहीं अपनाया तो उसके जीत की संभावना बहुत कम है।
मणिपुर में विकल्प के दूसरे प्रयासों की मीडिया में ज्यादा चर्चा नहीं है। लेकिन वे अपना जोर लगाए हुए हैं। इसमें मानवधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस पार्टी (पीआरएजे) सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसका मुख्य मुद्दा है आम्र्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट का खात्मा। वह एक साफ सुथरी सरकार देने का वायदा कर रही है। शर्मिला के अलावा वाम मोर्चा भी वहां मैदान में है जिसमें सीपीआई, सीपीएम, जनता दल-युनाईटेड के अलावा आम आदमी पार्टी भी है। यह एक भ्रष्टाचार मुक्त सेकुलर सरकार का वादा कर रहा है।
भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है और विकास की लहर लाने का वायदा कर रही है। उसने कांग्रेस में काफी तोड़-फोड़ मचाई है और भगोड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। दल-बदलुओं की एक बड़ी संख्या भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है। भाजपा का कहना है कि पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की बयार है। इसी बयार के जरिए वह सत्ता में आने की कोशिश में है। लेकिन कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह का कहना है कि यह लहर मणिपुर में थमने वाली है। ल्ल