भारत में ही बिताना चाहती हूं बाकी पूरी जिंदगी- तसलीमा
नई दिल्ली। भारत में रहने के लिये दीर्घकालीन रेसीडेंट परमिट मिलने की उम्मीद कर रही बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि यदि उन्हें अब बांग्लादेश में प्रवेश की अनुमति मिल जाती है तो भी वह अपनी बाकी जिंदगी भारत में बिताना चाहती हैं। तसलीमा ने कहा कि मैं भारत में रहना चाहती हूं, क्योकि मैं और कहां जाउंगी। मैं यूरोप की नागरिक हूं और अमेरिका की स्थायी निवासी लेकिन मैने सांस्कृतिक समानता के कारण भारत को रहने के लिये चुना। यदि मुझे अब बांग्लादेश में प्रवेश की अनुमति भी मिलती है तो भी मैं भारत में ही बाकी जिंदगी बिताना पसंद करूंगी। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल में बांग्लादेश से ज्यादा मेरे दोस्त भारत में है। इस तरह की विचारधारा के साथ जीने पर रिश्तेदार नहीं बल्कि वे लोग अहम हो जाते हैं जिन्हें आपके सिद्धांतों पर यकीन हो। बांग्लादेशी प्रकाशकों और बुद्धिजीवियों ने भी मुझसे संपर्क बनाये रखने की कोशिश नहीं की, लिहाजा मेरे देश और मेरे बीच का रिश्ता टूट गया है। तसलीमा ने रेसीडेंट परमिट के लिये आवेदन किया था लेकिन उन्हें गृह मंत्रालय से एक साल की बजाय दो महीने का वीजा मिला। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें अब दीर्घकालीन वीजा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने मुझसे वादा किया है कि वह मुझ दीर्घकालीन वीजा देंगे। मुझे उम्मीद है कि वह मिलेगा लेकिन सितंबर या अक्टूबर में क्योकि मेरे पास दो महीने का वीजा है। तसलीमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई मौकों पर उनका समर्थन किया है। उन्होंने कहा, सिर्फ 2007 में ही नहीं बल्कि चुनाव के दौरान भी अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मेरे साथ की गई नाइंसाफी के खिलाफ बोला था। कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों के विरोध के कारण मुझे 2007 में पश्चिम बंगाल से निकाल दिया गया था। उस समय मोदीजी समेत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भरोसा करने वाले कई लोगों ने मेरा समर्थन किया था। कई सरकारों के वैमनस्यपूर्ण रवैये से आजिज आ चुकी तसलीमा ने कहा कि वह भारत में चौन से जीना चाहती है हालांकि वह यूरोपीय नागरिक बनी रहने की इच्छुक हैं। उन्होंने कहा, मुझे 20 साल पहले बांग्लादेश से निकाल बाहर किया गया। उसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने मुझे बिना कारण निकाल दिया। मुझे कुछ मजहबी कट्टरपंथियों के हमलों के बाद यहां नजरबंद रहना पड़ा। अपराध उन्होंने किया और सजा मैने भुगती। मुझे 2008 से 2010 तक भारत में रहने नहीं दिया गया। पिछले 25 साल में मेरे साथ इतनी नाइंसाफी हुई लेकिन अब मैं भारत में चौन से जीना चाहती हूं। यह पूछने पर कि क्या वह भारत की नागरिकता चाहती हैं, उन्होंने कहा, मुझे दीर्घकालीन वीजा मिल जाये तो काफी है। भारत की नागरिकता के लिये मुझे यूरोप की नागरिकता छोड़नी होगी। मैं भले ही यूरोप में रहना नहीं चाहती लेकिन अगर यहां कुछ समस्या होती है तो मैं कम से कम वहां जा तो सकती हूं। फिलहाल गाजा में हो रही घटनाओं पर अपने ब्लॉग में लिख रही तसलीमा की नयी किताब भी जनवरी में आ रही है। उन्होंने कहा, मैं गाजा की तकलीफों पर लिख रही हूं। इसके अलावा बांग्ला में नयी किताब धर्मनिरपेक्षता में महिलायें जनवरी में आयेगी।