नयी दिल्ली। भाजपा ने आज कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव में मिले ऐतिहासिक जनादेश को पार्टी ने पूरी विनम्रता से स्वीकार किया है लेकिन कांग्रेस अपनी पराजय को स्वीकार नहीं करके सरकार के काम में अनावश्यक बाधा डाल रही है। भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की आज हुई बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में यह आरोप लगाया गया। इस प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, ष्सत्ता में रहते हुए कांग्रेस बोझ बन गई थी और अब विपक्ष में रहते हुए भी वह यही भूमिका (बोझ) निभा रही है। सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डाला और अब भाजपा सरकार द्वारा अर्थव्यस्था से उसके द्वारा डाले गए बोझ को हटाने के प्रयास को भी विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस रोड़े डाल कर बोझ बनने का काम कर रही है।’’ प्रकाश जावड़ेकर द्वारा रखे गए इस राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि चुनाव के इस ऐतिहासिक जनादेश से साफ है कि जनता ने 10 वर्ष के संप्रग शासन से छुटकारा पाने की सौगंध खा ली थी। इसमें दावा किया गया है कि भारतवासी अब खुश हैं और उन्हें स्वयं दिये गए जनादेश पर गर्व महसूस हो रहा है। प्रस्ताव में कहा गया कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने अपने अथक परिश्रम से देश में आशा की ज्योति जलायी और राजनीति में जो अविश्वास का वातावरण बन गया था, उसे विश्वास में बदलने का सार्थक प्रयत्न मोदी द्वारा ही किया गया। इसमें कहा गया कि यह एक ऐसा ऐतिहासिक चुनाव था, जिसमें 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और सपा केवल अपने अपने परिवार के उम्मीदवारों की सीटों पर ही सिमट कर रह गई जबकि भाजपा ने प्रदेश में अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए 80 में से 71 सीटों पर विजय पायी और दो अन्य सीटें उसके सहयोगी दल को मिली। प्रस्ताव में कहा गया है कि चुनाव के बाद कांग्रेस की हताशा की स्थिति ऐसी है कि संसद के दोनों सदनों में अनावश्यक रूप से बाधा डालने के काम के अलावा उसे और कुछ सूझ नहीं रहा है। हालात यह हैं कि वह अपनी ही पिछली सरकार द्वारा प्रस्तावित कुछ विधेयकों का अब विरोध कर रही है। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि जनता ने उसे सत्ता से बेदखल ही नहीं किया बल्कि उसके नेता को नेता प्रतिपक्ष बनने तक की आवश्यक संख्या नहीं दी। इसके अनुसार कांग्रेस इस स्थिति को पचा नहीं पा रही है और इसलिए उसकी गतिविधियां पूरी तरह से नकारात्मक हो गई हैं। अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि देश की जनता बड़ी बेसब्री से मोदी सरकार के पहले बजट की बाट जोह रही थी। इस बजट ने संप्रग सरकार की नीतियों से रसातल में जाती देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया है। इसमें दावा किया गया कि निश्चित रूप से मोदी सरकार का यह पहला बजट एक स्वर्णिम भारत के निर्माण की ओर पहला कदम है। यह बजट पेश करने के लिए प्रस्ताव में वित्त मंत्री अरुण जेटली को बधाई दी गई कि उन्होंने महज 45 दिन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की सोच को अपने बजट में साकार किया। अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही नरेन्द्र मोदी ने पड़ोसी देशों के सभी शासन प्रमुखों को आमंत्रित करके देश की विदेश नीति को एक नया और सकारात्मक आयाम दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मोदी की नेपाल यात्रा इस हिमालयी देश के साथ भारत के संबंधों के मामले में एक मील का पत्थर साबित हुई।