लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए गावों में मिनी ग्रिड सोलर पावर प्लाण्ट लगाने की योजना बनाई है। मंत्रिमंडल ने आज इस योजना के क्रियान्वयन हेतु दिशा-निर्देशों को मंजूरी प्रदान कर दी। सोलर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव जीवेश नंदन ने पत्रकारों को बताया कि इसके अन्तर्गत प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की विद्युत आवश्यकता की पूर्ति हेतु तथा भारत सरकार की इस योजना से अधिकाधिक लाभ प्राप्त किए जाने के परिप्रेक्ष्य में मिनी ग्रिड सोलर पावर प्लाण्ट योजना निजी विकासकर्ताओं के माध्यम से निर्माण, स्वामित्व, संचालन एवं रख-रखाव (बिल्ड ओन ऑपरेट एण्ड मेनटेन) के स्वरूप पर क्रियान्वित की जाएगी, जिसकी क्षमता न्यूनतम १० किलोवाट से ५०० किलोवाट तक होगी। मिनी ग्रिड सोलर पावर प्लाण्ट योजना के मुख्य उद्देश्य प्रदेश में सौर ऊर्जा से विकेन्द्रीकृत रूप से विद्युत आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए निजी उद्यमियों, विकासकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया जाना एवं प्रदेश के अविद्युतीकृत ग्रामीण परिवारों को रात्रि प्रकाश, मनोरंजन तथा पंखा हेतु विद्युत प्रदान किया जाना है। योजना का क्रियान्वयन उ०प्र० नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा किया जाएगा। परियोजना के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले सोलर फोटोवोल्टाईक पावर प्लाण्ट की न्यूनतम क्षमता १० किलोवाट तथा अधिकतम क्षमता ५०० किलोवाट या जैसा कि एम०एन०आर०ई० भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया जाए, तक होगी। परियोजना के क्रियान्वयन हेतु दिए जाने वाले राज्य अंशदान की व्यवस्था अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के ग्रामीण विद्युतीकरण मद में की जाएगी। ग्रामीण घरों में प्रतिदिन १० घंटे विद्युत आपूर्ति के लिए ३० वॉट तक भार पर ५० रुपए मासिक टैरिफ, १०० वॉट तक १५० रुपए तथा १०० वॉट से अधिक भार पर दरों का निर्धारण उपभोक्ता एवं विकासकर्ता की आपसी सहमति के आधार पर किया जाएगा।