मनमानी फीस वसूलती स्कूलों की अब खैर नहीं, विधानसभा में विधेयक पास
5 से 10 लाख के दंड समेत मान्यता रद्द करने का प्रावधान
गांधीनगर (एजेंसी)। मनमानी फीस वसूलने वाली राज्य की स्कूलों पर नकेल कसने वाला विधेयक आज गुजरात विधानसभा में पास हो गया है| अब राज्य की सेल्फ फाइनांस स्कूलें विद्यार्थियों से मनमानी फीस नहीं ले पाएंगी और नियमों का उल्लंघन करने पर पहली रु. 5 लाख और दूसरी दफा रु. 10 का जुर्माना तथा तीसरी बार उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता रद्द हो सकती है|
राज्य में सेल्फ फाइनांस माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में मनमानी फीस वसूलने और संबंधित समय पर निर्धारित आदर्श आचार संहिता के अमल के आदेशों के उल्लंघन की व्यापक शिकायतों के स्थायी निराकरण के लिए आज गुजरात विधानसभा में द गुजरात सेल्फ फाइनांस स्कूल (रेग्युलेशन ऑफ फ्रीज बिल-2017) विधेयक आज शिक्षामंत्री भूपेन्द्रसिंह चूडास्मा ने पेश किया| इस एक्ट के तहत नियम बनने के बाद जोन/रिविजन स्तर की समिति के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी| इस कानून के अमल में आने के बाद कोई सेल्फ फाइनांस स्कूलें विद्यार्थियों से मनमानी फीस वसूल नहीं कर पाएंगी| फिलहाल प्राथमिक शिक्षा में वार्षिक रु. 13000 और माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक में रु. 25000 जितना खर्च होता है|
जिसे ध्यान में रखते हुए प्राथमिक शिक्षा के लिए वार्षिक रु. 15000, माध्यमिक शिक्षा के लिए वार्षिक रु. 25000 और उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए वार्षिक रु. 27000 फीस तय की गई है| विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक इससे ज्यादा फीस लेने के लिए स्कूल संचालकों को सरकार द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष पेशकश करने के साथ ही ठोस वजह भी पेश करनी होगी| शिक्षा मंत्री ने बताया कि फीस संबंधी कानून का उल्लंघन करने पर रु. 5 लाख, दूसरी दफा रु. 10 लाख और तीसरी दफा उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने, एनओसी वापस लेने जैसी कार्रवाई की जाएगी|
दंड वसूली के अलावा विद्यार्थियों से ली गई फीस की दुगुनी रकम भी स्कूल को लौटानी होगी और इसका भुगतान आदेश मिलने के 15 दिनों के भीतर करना होगा| जिसके बाद कुल रकम पर एक प्रतिशत के आधार पर भुगतान करने के दिन तक दंड वसूल किया जाएगा| यदि तीन महीने की अवधि में इस रकम का भुगतान नहीं किया जाता है तो उसे राजस्व बकाया की रकम मानकर वसूली किए जाने का भी विधेयक में प्रावधान किया गया है| राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति स्वयं या शिकायतकर्ता की अर्जी के आधार पर स्कूल के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकेगी, जिसमें स्कूल को उसका पक्ष रखने का भी मौका दिया जाएगा|