अपने वादों को कैसे पूरा करेंगे ये 5 नए मुख्यमंत्री
नई दिल्ली / देहरादून / चंडीगढ़ / इम्फाल
हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद देश के 4 राज्यों में बनीं बीजेपी सरकारों और पंजाब में कांग्रेस सरकार के फैसलों से एक ओर राजनीति गरमाई हुई है, वहीं जनता और मीडिया इस इंतजार में हैं कि ये सरकारें दूसरे अहम मुद्दों को कैसे डील करती हैं। आइए जानते हैं कि इन मुख्यमंत्रियों ने अब तक कितना काम किया है और भविष्य में इन्हें किन चुनौतियों का सामना करना है।
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ अपने फैसलों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। सीएम घोषित होने के बाद लोकसभा में दिए अपने भाषण में उन्होंने कहा था, ‘यूपी में बहुत कुछ बंद होने वाला है।’ ऐसा उन्होंने किया भी। प्रदेश के अवैध बूचड़खानों को बंद करने और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड बनाने में उन्होंने जरा भी वक्त नहीं गंवाया। बीजेपी के घोषणापत्र ‘लोककल्याण संकल्प पत्र’ में इन दोनों ही फैसलों का जिक्र था। इनके अलावा मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को एक लाख रुपये का अनुदान देने, तंबाकू सेवन और सरकारी कार्यालयों में पॉलीथीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने, सरकारी अधिकारियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करने, सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने जैसे फैसले चर्चा का विषय बने रहे।
हालांकि ऐसे 50 फैसले लेने के बाद भी कोई कैबिनेट मीटिंग अभी तक नहीं हुई है। शायद इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा है। अब केंद्र ने ही राज्य सरकार को 27 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था खुद ही करने को कहा है। इसके अलावा राज्य के लोगों को 15 जून तक यूपी को गड्ढामुक्त बनाने, गोरखपुर, इलाहाबाद, आगरा, मेरठ और झांसी के मेट्रो कार्य की शुरुआत, बिजली सुधार, स्वास्थय और कानून व्यवस्था पर किए गए वादों को पूरा होते देखने इंतजार है।