एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव का भारत पर होगा असर
बेंगलुरू/नई दिल्ली। देश के अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग मंडल नैसकॉम ने मंगलवार को कहा कि देश के कंप्यूटर प्रोग्रामरों के लिए एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव से संबंधित स्पष्टीकरण दिशा-निर्देशों का उसके सदस्यों पर मामूली असर होगा, क्योंकि इस तरह के दिशा-निर्देश वर्षो से न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। नैसकॉम ने बेंगलुरू में एक वक्तव्य जारी कर कहा, “यूएससीआईएस द्वारा 31 मार्च को जारी किया गया ज्ञापन मौजूदा न्यायिक प्रक्रिया का ही हिस्सा है, जिसमें कंप्यूटर विशेषज्ञों के लिए योग्यता से संबंधित स्पष्टीकरण हैं।”
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाएं (यूएससीआईएस) ने 31 मार्च को स्पष्टीकरण जारी किया है कि एच-1बी वीजा मानकों के तहत योग्य कंप्यूटर प्रोग्रामरों को यह साबित करना होगा कि उनके पास व्यवसाय विशेषज्ञता है तथा सिर्फ कंप्यूटर डिग्री का होना पर्याप्त नहीं होगा। कुशल कामगारों के लिए एच-1बी वीजा जारी करने के नए सत्र की शुरुआत से ठीक पहले जारी किए गए इस स्पष्टीकरण को अमेरिका द्वारा कंप्यूटर प्रोग्रामरों की नियुक्ति के नियमों में सख्ती लाने की तरह देखा जा रहा है, जिससे भारतीय कंप्यूटर पेशेवर दबाव में थे।
पूरी दुनिया में अमेरिकी दूतावासों ने तीन अप्रैल से एच-1बी वीजा आवेदन स्वीकार करना शुरू किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ अमेरिकी एच-1बी वीजा के सर्वाधिक लाभान्वितों में शामिल हैं और कुल 70 फीसदी वीजा हासिल करते रहे हैं। यह वीजा अमेरिका में छह वर्षो तक काम करने की इजाजत देता है और उसके बाद इसकी अवधि में विस्तार भी किया जा सकता है। इस वीजा के तहत अमेरिका में काम करने वाले विदेशी नागरिकों को अमेरिका की पूर्ण नागरिकता भी मिलनी आसान हो जाती है।
नैसकॉम ने बताया कि उसके सैकड़ों सदस्यों ने इस वर्ष अमेरिका के एच-1बी वीजा के लिए आवेदन किया हुआ है। नैसकॉम ने कहा, “हमारी सदस्य कंपनियां अमेरिकी कंपनियों को कुशल मानव संसाधन एवं सेवाएं उपलब्ध कराती रही हैं। अमेरिका में घरेलू प्रौद्योगिकी कुशल मानव संसाधन की लगातार कमी के चलते एच-1बी वीजा प्रणाली का वहां अस्तित्व बना हुआ है।” अमेरिकी कांग्रेस ने प्रत्येक वित्तवर्ष के लिए एच-1बी वीजा देने की अधिकतम सीमा 65,000 तय कर दी है।