कश्मीर में सेना और सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी की घटनाएं आम होती जा रही है। घाटी में आए दिन कश्मीरी युवा सुरक्षबलों पर पथराव करते हैं। यहां तक की आंतकियों से मुठभेड़ के दौरान भी वह जवानों का रास्ता है, जिससे आतंकियों को फरार होने में मदद मिलती है। स्थानीय नौजवानों को पत्थरबाजी करने के लिए पैसे दिए जाते हैं, ये बात पहले भी सामने आ चुकी है, लेकिन ये पैसे उन तक कैसे पहुंचते हैं। इस सवाल का जवाब मिलना बाकी है। एबीपी न्यूज चैनल ने अपनी पड़ताल में दावा किया कि पाकिस्तान घाटी में पत्थरबाजों को कैशलेस फंडिंग कर रहा है। चैनल ने अपने खुफिया सूत्रों के हवाले से दावा किया कि पाकिस्तान इन पत्थरबाजों को पैसा देने के लिए उसी वस्तु विनिमय प्रणाली का सहारा ले रहा है, जिसके जरिए लोग पहले व्यापार करते थे। वस्तु विनिमय प्रणाली में लोग सामान का आदान-प्रदान करते हैं। ठीक इसी तरह पाकिस्तान भी पथराव करने वाले नौजवानों को फंडिंग करता है।
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चैनल के मुताबिक कई ट्रक पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से श्रीनगर सामान लेकर आते-जाते हैं। इन्हें ट्रकों के जरिए पत्थरबाजों को पैसा पहुंचाया जाता है। मान लीजिए एक ट्रक मुजफ्फराबाद से 5 लाख रुपए का सामान लेकर श्रीनगर के लिए रवाना हुआ, लेकिन जब यह वापस श्रीनगर से मुजफ्फराबाद जाता है तो इस पर सिर्फ 2 लाख रुपए का सामान होता है। इस तरह से तीन लाख रुपए श्रीनगर में पत्थरबाजों तक पहुंच जाता है। चैनल ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को हाल ही में पाकिस्तान की इस नापाक चाल के बारे में पता चला है, जिसके बाद से श्रीनगर और मुजफ्फराबाद के बीच आने-जाने वाली गाड़ियों की जांच पड़ताल की जा रही है।
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हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद घाटी में सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शन करने की वारदात लगातार सामने आती रही है। जिसको लेकर दावा किया गया था कि पत्थरबाजों को सुरक्षाबलों पर पथराव करने के लिए पाकिस्तान की ओर से फंडिंग की जाती है। हाल ही में एक अन्य चैनल द्वारा किए गए स्टिंग में पत्थरबाज ने बताया था कि उसे इस काम के लिए लिए 500 से पांच हजार रुपये तक मिलते हैं। पत्थरबाज ने कबूल किया कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन के उग्रवादी बुरहान वानी की मौत के बाद हुए हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान भी उसने पत्थरबाजी की थी। उन्हें विरोध प्रदर्शन करने और पत्थरबाजी के आदेश मिलते हैं। पकड़े जाने पर वो पुलिस के सामने पैसे मिलने की बात कबूल नहीं करते। पत्थरबाज पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए घर से फरार हो जाते हैं।