19 अप्रैल को धरती के निकट से 2014 जेओ 25 नामक लघुग्रह गुजर रहा है। इसका आकार 650 मीटर है।हालांकि, इसके धरती से टकराने की कोई संभावना नहीं है।
नैनीताल: बुधवार की शाम विशाल पर्वतनुमा लघुग्रह धरती के बेहद करीब से होकर गुजरने जा रहा है। पृथ्वी की कक्षा पार करने वाले इस तरह के पिंड बेहद खतरनाक माने जाते हैं। हालांकि, इसके धरती से टकराने की कोई संभावना नहीं है। इसका नाम 2014 जेओ 25 है। वैज्ञानिकों की नजरें इस लघुग्रह पर टिकी हुई हैं।
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लघुग्रहों का अपना अलग स्थान व जीवन है, जो अनगिनत संख्या में मंगल व गुरू की कक्षा के बीच विचरण करते हैं। इनमें 100 मीटर से बड़े आकार के कई पिंड मंगल व बृहस्पति के गुरूत्वाकर्षण के प्रभाव से छिटककर पृथ्वी की कक्षा में आ जाते हैं। जिस करण इनके धरती से टकराने की आशंका उत्पन्न हो जाती है।
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इन्हें पृथ्वी निकट पिंड कहा जाता है। 19 अप्रैल को धरती के निकट पहुंच रहे 2014 जेओ 25 लघुग्रह का आकार 650 मीटर है। यह धरती से 17.6 लाख किमी दूरी से होकर आगे निकल जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष की खतरों को देखते हुए जितना विशाल आकार का यह पिंड है, उसका इतने निकट से होकर गुजरना चिंतनीय कहा जा सकता है, परंतु इस पिंड से कोई खतरा धरती को नही है। इसे वर्ष 2014 में खोजा गया था। तभी से वैज्ञानिकों की पैनी नजरें इस पर टिकी हुई हैं। इसका परिभ्रमणकाल 2.97 वर्ष का है।
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आब्जर्वेशन के लिए जुटे वैज्ञानिक
नैनीताल स्थित आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार इस लघुग्रह की चमक काफी कम होने के बावजूद इसे छोटे आकार की दूरबीन से देखा जा सकता है। नजदीक आने पर बारीकी से अध्ययन किया जा सकेगा। जिससे इसकी सतह समेत कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी। इसके आब्जर्वेशन के लिए नासा समेत दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियां जुटी हुई हैं।
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ऐसे पिंडों पर नजर रखना जरूरी
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरू के खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के अनुसार अक्सर लघुग्रह पृथ्वी के पास से होकर गुजर जाते हैं, परंतु कभी-कभी टकरा भी जाते हैं। लिहाजा इनसे सतर्क रहने की जरूरत होती है। 15 फरवरी 2013 को रूस के चेल्लिया बिंस्क के आकाश के वातावरण में 19 मीटर का पिंड घुस आया था। 20 किमी उंचाई में विस्फोट के साथ नष्ट हो गया था। इस घटना में उस क्षेत्र के 1500 लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा सात हजार से अधिक भवन क्षतिग्रस्त हो गए थे।