उत्तर प्रदेशलखनऊ

योगी की हिंदूवादी छवि बदलने में रुकावट बने मंत्री, फूट पड़ा जहन में बसा गुस्‍सा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ जहां अपनी कट्टर हिंदूवादी की छवि को बदलने में लगे हैं और मुस्लिम वर्ग के उत्थान के लिए ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं, वहीं उनके इकलौते मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की गतिविधियों पर उंगली उठा रहे हैं और इस पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मोहसिन रजा सपा सरकार के मंत्री आजम खां की तर्ज पर चर्चा में बने रहना चाहते हैं।

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मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही योगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ‘सबका साथ सबका विकास’ का मंत्र जपने लगे हैं। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री तो सबका होता ही है, इसकी रट लगाने की जरूरत नहीं है। लेकिन जिन्हें खुद लगता है कि जनता के मन में संदेह है, उन्हें रट लगाने की जरूरत पड़ जाती है।

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मुस्लिमों के खिलाफ खुलेआम भड़काऊ भाषण देने वाले योगी ने अब मुस्लिमों के लिए पिटारा खोल दिया है। गरीब मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए 20 हजार रुपये का अनुदान, सामूहिक विवाह, मदरसों के उच्चीकरण करने जैसे कई आदेश दे चुके हैं। हाल में उन्होंने यूपी में उर्दू विश्वविद्यालय बनाने के लिए जमीन देने पर भी सहमति जताई है।

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योगी अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि बदलने की कोशिश लगातार करते दिख रहे हैं। गत 11 अप्रैल को योगी ने प्रदेशवासियों को हजरत अली के जन्मदिन पर बधाई दी। इसी तरह 13 अप्रैल को बैसाखी कार्यक्रम में यहियागंज गुरुद्वारे में शामिल हुए। योगी के ही निर्देश पर राज्य सरकार गरीब मुस्लिम लड़कियों के सामूहिक विवाह कराने जा रही है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हर जिले में निकाह का आयोजन करेंगी।

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सरकार हर जिले में मुस्लिमों को शादी करने करने के लिए सद्भावना मंडप बनाने का भी निर्णय ले चुकी है। इसी मंडप में गरीब मुस्लिम लड़कियों का इस्लामिक रीति-रिवाज से सामूहिक विवाह होगा। इस सामूहिक विवाह में सौ शादियां एक साथ कराई जाएंगी। इसके अलावा सरकार मुस्लिम समाज की गरीब लड़कियों की शादी के लिए 20 हजार रुपए अनुदान देने जा रही है।

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योगी ने पिछले दिनों तीन तलाक के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने के बाद कहा कि जो इस मुद्दे पर खामोश है, वह अपराधी है। उन्होंने इस मामले की तुलना द्रोपदी चीरहरण से की। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को न्याय की वकालत भी की है। इसके साथ ही मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी को लखनऊ कैंपस के लिए जल्द ही जमीन देने पर भी सहमति जताई है।

पिछले दिनों विश्वविद्यालय के कुलपति, जफर सरेशवाला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और परिसर के लिए जगह उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। इस प्रीमियर सेंट्रल उर्दू यूनिवर्सिटी के समूचे देश में 11 कैंपस हैं, लेकिन यूपी में फिलहाल कोई शाखा नहीं है।

राज्य के 48,000 हजार मदरसे हैं, जो सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त हैं, लेकिन कई प्रयासों के बाद भी इन मदरसों की जमीनी हकीकत बहुत खराब है। इनकी छवि बदलने के लिए सरकार ने 400 करोड़ रुपये देने जा रही है। इस तरह योगी मुस्लिम वर्ग को सहूलियतें देने के आदेश लगातार दे रहे हैं।

दरअसल, योगी की यह कवायद मुस्लिम मतदाताओं के बीच भाजपा की पैठ बनाने की है, लेकिन उन्हीं के सरकार के एक मंत्री मोहसिन रजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मौलवियों का बोर्ड बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इस तरह के संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

रजा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह पैराशूट से उतरकर योगी की टीम में शामिल हो गए हैं। वह विधानसभा में किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। हां, क्रिकेटर जरूर रह चुके हैं। कहा जाता है कि भाजपा के एक बड़े मुस्लिम नेता के रिश्तेदार होने के नाते उन्हें योगी की टीम में काम करने का मौका मिला है।

 

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