उत्तर प्रदेश

2030 तक भारत में खत्म हो सकती है चावल की खेती

अधिक तापमान की वजह से चावल उगाना होगा मुश्किल
नई दिल्ली (एजेंसी)। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आगामी डेढ़ दशक में धरती का तापमान इतना अधिक हो सकता है कि चावल की खेती करना मुश्किल हो जाएगा। साल 2030 तक देश में लोग चावल के दाने के लिए मोहताज हो सकते हैं। आगामी समय में वातावरण का तापमान बढ़ने से देश में चावल को उगाना काफी मुश्किल हो जाएगा। देश में बड़ी आबादी चावल पर निर्भर है और इसी कारण देश के सामने खाद्यान्न का संकट उत्पन्न हो सकता है। ह्यूलेट फाउंडेशन के प्रोग्राम ऑफिसर मैट बेकर ने बताया कि 2030 में भारतीय उपमहाद्वीप का तापमान काफी बढ़ जाएगा। इस कारण से इन इलाकों में चावल को उगाना काफी मुश्किल है। उन्होंने आगे बताया कि हालांकि भारत ने इससे निपटने के लिए भारत ने अरब डालरों में निवेश करने का फैसला किया है। इसके तहत भारत वातावरण में एयरोसोल्स डालेगा जिससे पृथ्वी के तापमान को नीचे लाया जा सके। उन्होंने कहा कि हमें सौर विकिरण प्रबंधन पर काम करने की जरूरत है जिससे तापमान में कमी लाई जा सके। भारत में चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फसल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। भारत में विश्व के कुल उत्पादन का बीस फीसदी चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फसल है। यहां लगभग 34 फीसदी भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्यों का प्रमुख भोजन है। उनकी निर्भरता खाद्य पदार्थ के रूप में चावल पर अधिक है। 

सुशील/ईएमएस 21अप्रैल 2017

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