किसानों की अगुवाई करने वाले अय्याकन्नू ने बताया कि तमिलनाडु में एक दशक से सूखा पड़ रहा है। पिछले एक साल में सूखे का प्रभाव बेहद ज्यादा रहा है। ऐसा सूखा 150 साल पहले पड़ा था। इसके चलते किसान कर्ज में डूबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। एक साल की अवधि में करीब 400 किसानों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड बनाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे ये किसान सरकार से राज्य के किसानों का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने, सूखा राहत निधि से 40 हजार करोड़ रुपये की सहायता देने, सूखे की समस्या से निपटने के लिए राज्य की नदियों को आपस में जोड़ने, किसानों को उनकी फसल का सही दाम देने और बुजुर्ग किसानों व उनकी मौत के बाद आश्रितों को पेंशन देन की मांग कर हैं। किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। वे कई बार मंत्रियों से भी मिल चुके हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी उनकी समस्या पर विचार करने का आश्वासन दिया है।