अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका का आरोप, टीसीएस-कोग्निजेंट कर रहे एच1बी वीजा का दुरुपयोग
अमेरिका ने भारत की शीर्ष आईटी कंपनियों टीसीएस, कोग्निजेंट और इंफोसिस पर एच1बी वीजा का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी सरकार का कहना है कि ये कंपनियां लॉटरी सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा आवेदन करके एच1बी वीजा कोटे में एक बड़ा हिस्सा हथिया लेती हैं।
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि टीसीएस, इन्फोसिस और काग्निजेंट जैसी कंपनियां लॉटरी प्रणाली के अंतर्गत बड़ी संख्या में टिकट खरीदकर वीजा का आवेदन करती हैं, ऐसे में उन्हें औरों से ज्यादा एच1बी वीजा मिल जाता है। उन्होंने आगे कहा कि ये कंपनियां एच1बी वीजा पाने वाली 3 सबसे बड़ी कंपनियां हैं।
अधिकारी ने कहा सिलिकॉन वैली में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का औसत वेतन करीब 1 लाख 50 डॉलर होता है जबकि ये कंपनियां उन्हें 60-65 हजार डॉलर सालाना वेतन देती हैं। इसके अलावा ये कंपनियां नॉन स्किल्ड कर्मचारियों के प्रवेश के लिए भी एच1बी वीजा का इस्तेमाल करती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ 5-6 फीसदी एच1बी वीजाधारक पेशेवरों को उच्च वेतन मिलता है। अमेरिकी पेशेवरों की तुलना में एच1बी वीजाधारक को बेहद कम वेतन मिलता है।
हालांकि अभी तक ट्रंप प्रशासन के इस आरोप पर इन तीनों कंपनियों की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।