एकता व शान्ति से रहने की प्रेरणा देता है धर्मः स्वाती सिंह
धूमधाम से मनाया गया बहाउल्लाह का 200वां जन्म दिवस समारोह
लखनऊ। स्थानीय बहाई आध्यात्मिक सभा, लखनऊ के तत्वावधान में बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह का 200वां जन्म दिवस समारोह 30 अप्रैल को सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में बड़े ही धूमधाम व उल्लास के साथ मनाया गया। मुख्य अतिथि, प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) स्वाती सिंह ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत् उद्घाटन किया। समारोह में अपने विचार रखते हुए मुख्य अतिथि स्वाती सिंह, राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) ने कहा कि धर्म हमें एकता व शान्ति से रहने की प्रेरणा देता है। धर्म को लेकर लोगों का अपना-अपना नजरिया है परन्तु मूल बात यह है कि धर्म के मर्म को हम सही अर्थों में जानें, समझें व उस पर अमल करें। आज बहाउल्लाह जी का 200वां जन्म दिवस समारोह मनाया जा रहा है, मुझे विश्वास है कि इसका आध्यात्मिक प्रकाश सर्वत्र फैलेगा और समाज में मित्रता व सद्भावना का वातावरण निर्मित होगा। इस अवसर पर भारी संख्या में एकत्रित बहाइयों ने बहाउल्लाह की स्तुति में प्रार्थना प्रस्तुत कर सारे वातावरण को आध्यात्मिकता के आलोक से परिपूर्ण कर दिया तथापि बहाई धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन, भक्ति गीत, भजन एवं प्रार्थना नृत्य के कार्यक्रमों ने ईश्वरीय एकता का अनूठा अहसास कराया। समारोह में अनेक बहाई विद्वान, स्थानीय बहाई आध्यात्मिक सभा के सदस्य तथा गणमान्य नागरिक आदि उपस्थित थे, जिन्होंने प्रभु बहाउल्लाह के दिव्य जीवन एवं उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।
प्रख्यात शिक्षाविद् व बहाई अनुयायी, डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि बहाउल्लाह का अर्थ है अल्लाह का नूर या आत्मा का प्रकाश। बहाई धर्म पूरे विश्व से मतभेद समाप्त कर एक शान्तिमय एवं खुशहाल विश्व समाज की परिकल्पना पर अवलम्बित है। बहाई धर्म आज विश्व का ऐसा धर्म है जो कि सारी दुनिया को प्रेम, एकता एवं आध्यात्मिकता के पवित्र सूत्र में बांधने के लिए कार्य कर रहा हैं। प्रख्यात शिक्षाविद् व बहाई अनुयायी, डा. भारती गाँधी ने कहा कि बहाई धर्म की आधारशिला मानव मात्र की एकता है। बहाई होने का सीधा-साधा अर्थ है कि सारे विश्व की मानव जाति से प्रेम करें तथा मानवता की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहें। इसी प्रकार कई अन्य बहाई विद्वानों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मानव मात्र के उत्थान हेतु बहाउल्लाह के रूप में एक किरणपुंज प्रकाशित हुई थी, जिनका 200वाँ जन्मदिन आज मनाया गया। बहाउल्लाह ने 27 वर्ष की उम्र में ही भौतिकतावाद की प्रचलित कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जब तक लोग पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों और अंधविश्वासों से चिपके रहेंगे तब तक पृथ्वी पर शांति व एकता स्थापित नहीं हो सकती।