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जल बंटवारा: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ के सामने हरियाणा-पंजाब में तकरार

पानीपत.एसवाईएल नहर और रावी-ब्यास नदियों के पानी में हिस्सेदारी को लेकर शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब में जमकर तर्क-वितर्क हुआ। मौका था चंडीगढ़ में नॉर्थ जोन काउंसिल (एनजेडसी) की 28वीं बैठक का। इस दौरान पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘हमारे पास ही पानी की कमी है। भाखड़ा में भी जलस्तर कम होता जा रहा है। इसलिए पंजाब, हरियाणा को एसवाईएल में पानी नहीं दे सकता है।’ इस पर हरियाणा ने माकूल जवाब दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पानी की कमी-ज्यादा का मुद्दा बाद में आता है। पहले पंजाब सतलुज-यमुना-लिंक नहर तो खुदने दे। एसवाईएल का निर्माण अनावश्यक रूप से रोक रखा गया है।
जल बंटवारा: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ के सामने हरियाणा-पंजाब में तकरार
मनोहर लाल खट्‌टर ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से अनुरोध किया कि हरियाणा को हांसी-बुटाना नहर में भी पानी दिलाया जाए। यही नहीं, जल बंटवारे को उलझाए रखने की पंजाब की सियासी चाल मीटिंग के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में भी नजर आई।

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पंजाब सरकार की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि मामले को बातचीत के जरिए हल करने के कैप्टन के सुझाव पर केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने भी सहमति जताई है। राजनाथ की अपील पर हरियाणा-पंजाब बातचीत से इस मामले को हल करने पर सहमत हैं। हरियाणा ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे भ्रामक और गलत बताया। बैठक में मौजूद रहे कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने लिखित अभिभाषण और मौखिक टिप्पणियों में यह स्पष्ट कर दिया है कि एसवाईएल के मुद्दे पर संवाद का प्रश्न ही नहीं उठता है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने वाला है। अगली सुनवाई 11 जुलाई को होनी है। धनखड़ ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री के सामने हरियाणा ने एसवाईएल, हांसी-बुटाना नहर को लेकर मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा है।

 
हमारे हक का 19 लाख एकड़ फीट पानी देने में अड़ंगे लगाए पंजाब यमुना में मांग रहा हिस्सेदारी, हरियाणा ने ठुकराया
हरियाणा के हक का 19 लाख एकड़ फीट पानी देने में अंड़गा लगाए बैठा पंजाब यमुना के पानी में हिस्सेदारी मांगने पर उतर आया। हरियाणा ने यह मांग पुरजोर तरीके से ठुकरा दी है। खट्‌टर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत हमें अपने हिस्से में से दिल्ली को अतिरिक्त पानी देना पड़ रहा है। जबकि पंजाब रावी-ब्यास के पानी में हरियाणा को पूरा हिस्सा नहीं दे रहा है। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री से आग्रह किया कि यमुना पर रेणुका, किसाऊ और लखवार-व्यासी बांधों के निर्माण में तेजी लाई जाए। यह राष्ट्रीय महत्व का विषय भी है क्योंकि तीन मिलियन एकड़ फीट पानी बहकर पाकिस्तान में जा रहा है। कुछ सालों से यमुना में पानी लगातार घट रहा है। बांध न होने से मानसून सीजन में भी पानी व्यर्थ बह जाता है। जबकि हरियाणा के हजारों गांव पीने के पानी और लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचाई से वंचित हैं। पंजाब से हमारे हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है।
 
हरियाणा ने भाखड़ा मेन लाइन पर पावर प्लांट का भी किया विरोध पंजाब सरकार द्वारा भाखड़ा मेन लाइन पर पावर प्लांट लगाए जाने का भी हरियाणा ने विरोध किया। कहा, पूंजी निवेश हरियाणा करे और बिजली का उपयोग केवल पंजाब ही करे, यह नहीं हो सकता।
 
चार मुद्दों पर थी मीिटंग, इन पर बनी आम राय
 
बैठक नदियों में प्रदूषण, जल बंटवारा, पावर प्लांट और डेवलपमेंट को लेकर थी। इसमें एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बढ़ाने के लिए चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कारगो सुविधा, नदियों में प्रदूषण रोकने को ट्रीटमेंट प्लांट, फसलों का विविधिकरण, जल संरक्षण और जैविक खेती को बढ़ावा देने पर राज्यों में सहमति बनी।
 
राजस्थान ने भी किया दावा हरियाणा ने किया काउंटर
राजस्थान ने कहा कि हरियाणा के किसान यमुना का पानी चुरा लेते हैं। भरतपुर क्षेत्र को पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा ने जवाब दिया कि हमें भी तो साबी, कृष्णावती और दोहान नदियों का पानी नहीं मिल पा रहा। राजस्थान ने बांध बनाकर पानी रोक लिया है। दक्षिण हरियाणा में संकट है।
समझौतों का सम्मान हो, नहीं तो कानूनी रास्ता अपनाएंगे
हम सौहार्दपूर्ण समाधान के पक्षधर हैं, लेकिन अतीत में किए गए समझौतों का सभी को सम्मान करना चाहिए। देश के संविधान में हमारा पूरा विश्वास है, लेकिन अपने हितों की रक्षा के लिए हर कानूनी रास्ता अपनाएंगे। -मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा
 
प्यार से कुछ भी ले लो, धमकी से एक बूंद पानी नहीं देंगे
 
हम पंजाबी हैं। प्यार से कुछ भी देने को तैयार हैं, लेकिन हरियाणा कानून की धमकी न दे। नहीं तो एक बूंद पानी नहीं देंगे।
-मनप्रीत बादल, वित्तमंत्री, पंजाब
 
जो मामले अदालत में हैं वो कोर्ट ही निपटाएगा, अन्य पर सहमति बनाएं
जो विवादित मुद्दे कोर्ट में नहीं हैं और नए उभरे हैं। उन्हें आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। जिन मुद्दों का विवाद कोर्ट में है, उसका फैसला कोर्ट ही करेगा, लेकिन कोशिश होनी चाहिए कि नए मामले कोर्ट के बाहर ही सुलझा लिए जाएं।-राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री

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