सुकमा अटैक का बड़ा खुलासा : हिड़मा ने की थी प्लानिंग, जंगल में यूं हुआ था सेलिब्रेशन
– पूछताछ में पांडा ने बताया कि हमले की योजना को अमल में लाने के लिए जंगल में फदीगुड़ा और बुरकापाल के बीच नक्सलियों ने कैंप डाला था।
ये भी पढ़े: बड़ी खबर: अभी-अभी बॉलीवुड की इस मशहुर अभिनेत्री की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत
– इसमें कमांडर हिड़मा, अर्जुन, सीतू और नागेश के अलावा कई बाहरी नक्सली भी थे। 15 अप्रेल से रेकी शुरु हो गई।
– सुबह 9 बजे के करीब खाना खाकर दलम के महेश लप्पू, हुर्रा और रिंकू आए। यहीं लोग 16 को भी रेकी करने आए।
– 18 की शाम को ये लोग हमें बुरकापाल और फदीगुड़ा के बीच जंगल में ले गए। 19 को सुबह ये अर्जुन के कैंप में ले गए।
– 19 को रेकी करने के लिए कमांडर अर्जुन के कैंप के 5 लोगों के साथ जनमिलिशिया के 2 लोगों को भेजा गया।
– चूंकि इस इलाके में नक्सलियों के कई कैंप थे। कई बार अलग-अलग कैंप से भी लोग रेकी के लिए भेजे जाते थे। देर शाम रेकी करके लौटकर नक्सली लीडरों को सारी जानकारी देते थे।
– ये लोग 20, 21 और 22 को रेकी करने आए। 23 को चिंतागुफा की ओर गांव वालों के पास गए। उनसे हमले में सहयोग मांगा।
– इसके बाद 24 को सुबह ये रेकी करने बुरकापाल गए। वहां से तुरंत वापस आए और सीआरपीएफ के मूवमेंट की जानकरी दी।
– इसके बाद करीब 400 से ज्यादा लोग जिसमें कई गांव वाले भी शामिल थे अटैक करने के लिए चल पड़े। सभी के पास हथियार थे। पांडा ने बताया कि उसे भी एक इंसास रायफल के साथ 8 कारतूस दिया गया था।
– इस टीम में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। इसमें दलम, मिलिशिया के लोगों के अलावा बुरकापाल, टूंडामरका,सालातोंग, करिगुंडम समेत आस-पास के कई गांव के लोग थे।
– बुरकापाल वालों ने ही मारे गए नक्सलियों की बॉडी हटाने में मदद की थी।
– अचानक सारे जवान गांव की ओर देखने लगे। उनका ध्यान भटकते ही टीले के नीचे एंबुश लगाए नक्सलियों ने उनपर अटैक कर दिया।
– पांडा ने बताया कि उसे आधा घंटे बाद आंध्र प्रदेश के नक्सली कमांडर अनिल की बॉडी हटाने के लिए कहा गया। उससे तुरंत बॉडी लेकर कसालपाड़ पहुंचने के लिए कहा गया।
– वो कुछ साथियों के साथ कसालपाड़ की ओर चल पड़ा। इधर कुछ और नक्सली जवानों के हथियार और उनके बैग लूटकर उसके साथ कसालपाड़ पहुंचे। यहां से बुरकापाल गांव वालों को लाश लेकर जंगल मे पहुंचाने के लिए बोला गया।
– इस दौरान इस्टाराम, कोंटा, गुल्लापल्ली, दोरनापाल, पोलमपल्ली, पामेल, जगरगुंडा, केरलापाल समेत कई गांवों के लोग थे।
– हिड़मा, अर्जुन और नागेश ने गांव वालों को संबोधित भी किया। 28 को लूटे गए हथियारों का प्रदर्शन हुआ। शाम को फिर नाच-गाना हुआ।