पंडित जवाहर लाल नेहरू जिन्हें लोग प्यार से चाचा नेहरु कहते हैं उनके जीवन के बारे में तो हर कोई परिचित है। लेकिन उनकी मौत से जुड़े इस राज को बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि अपनी मौत से एक दिन पहले चाचा नेहरु ने क्या किया था और वे कहां गए थे।
बता दें कि चाचा नेहरु घूमने के बड़े शौकीन थे। उनका देहरादून से गहरा लगाव था। मृत्यु से एक दिन पहले 26 मई 1964 को वह देहरादून आए थे। आज का राजभवन उस समय सर्किट हाउस हुआ करता था। नेहरू वहीं रुके थे।
यहां उनसे मिलने विशेष तौर पर बच्चे पहुंचे थे, जो उन्हें प्यार से चाचा नेहरू पुकारते थे। सहस्त्रधारा में उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव और संजय गांधी के साथ स्नान भी किया। स्थानीय लोगों से मिले और उनके साथ बैठकर चाय भी पी।
वह अपने साथ गंधक का पानी दिल्ली भी ले गए थे। लेकिन अगले ही दिन त्रिमूर्ति भवन में सुबह छह बजे उनका निधन हो गया। अभिलेखागार विभाग के निदेशक डॉ. लालता प्रसाद का कहना है कि चाचा नेहरू के देहरादून से आत्मिक संबंध थे। इसका जिक्र उन्होंने कई जगह किया है। वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से बेहद प्रभावित रहे।
आजादी की जंग के दौरान वह यहां कई मर्तबा जेल में बंद रहे। यहां उन्होंने भारत एक खोज पुस्तक के कुछ अंश भी लिखे। देश आजाद होने के बाद तो वह अक्सर देहरादून आते थे। प्रसाद ने बताया कि पंडित नेहरू तैराकी के बेहद शौकीन थे।
बता दें कि सहस्रधारा में जहां पंडित नेहरू आते थे वहां स्मारक बनाने की घोषणा पिछले तीन सीएम कर चुके हैं। लेकिन संस्कृति विभाग ने घोषणा पर अमल नहीं किया। सहस्त्रधारा में रहने वाले 81 वर्षीय बुजुर्ग दौलत सिंह नेगी बचपन में पंडित नेहरू से मिले थे। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार को स्मारक का निर्माण करवाना चाहिए।