होम लोन लेकर हो गए बेरोजगार, तो इस तरह करें बचाव
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यह समस्या और विकट हो जाती है यदि आपकी बेरोजगारी अवधि लंबी हो जाए. आमतौर पर इन हालातों में आपके पास लोन पर ली हुई उस संपत्ति को घाटे में बेचने के सिवाए कोई विकल्प नहीं होता. ऐसी स्थिति में आप बैंक लोन के डिफॉल्टर बन जाते हैं और क्रेडिट रेटिंग को नुकसान पहुंचता है. लिहाजा, आपकी कोशिश रहती है कि परेशानी की इस घड़ी में आप किस तरह से अपना फाइनेनशियल मैनेजमेंट करें.
बहरहाल, ऐसी स्थिति में आपके लिए और भी कुछ विकल्प हैं जिन्हें आप अपने वित्तीय सलाहकार से राय लेकर आजमा सकते हैं. गौरतलब है कि बैंक तीन महीने तक लगातार ईएमआई में डिफॉल्ट होने पर आपको डिफॉल्टर घोषित करता है और आपके विरुद्ध कोई कारवाई शुरू करता है.
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1. इमरजेंसी फंड और निवेश: ऐसे नाजुक हालात में आपको अपने पास पड़ा कोई पुराना निवेश या इमरजेंसी फंड का रुख करना चाहिए. वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक नौकरीशुदा लोगों को अपनी मासिक सैलरी का 6 गुना फंड बना कर चलना चाहिए. यह फंड आपकी कम अवधि की बेरोजगारी में आपको संभाल सकता है और नई नौकरी मिलने तक आप अपनी ईएमआई का भुगतान इस फंड के जरिए कर सकते हैं.
2. फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड: यदि किसी कारण आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है तो इस सूरत में आप अपने द्वारा किए गए निवेश जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड को भुना सकते हैं और ईएमआई भुगतान करने और मासिक घर खर्च के लिए फंड बना सकते हैं.
3. इंश्योरेंस स्कीम: आमतौर पर होम लोन लेने के पहले लोग कई तरह की ऐसी इंश्योरेंस स्कीम में निवेश करते हैं जिसमें बचत का भी प्रावधान रहता है. कई इंश्योरेंस स्कीम भले आपको कम रिटर्न देती है लेकिन आप उनका इस्तेमाल लोन लेने में कर सकते हैं. लिहाजा, होम लोन के डिफॉल्ट से बचने के लिए आप अपने द्वारा ली हुई इन स्कीमों का प्रयोग कर सकते हैं. आमतौर पर वित्तीय सहालकारों का मानना है कि लोगों को इस तरह की 3-4 स्कीमों में निवेश करना चाहिए.
4. प्रॉविडेंट फंड: जानकारों के मुताबिक, यदि आप ऊपर दिए तरीकों को अपनाने में सक्षम नहीं हैं तब आपको अपने प्रॉविडेंट फंड का रुख करना चाहिए. आमतौर पर इस फंड को छूने से लोग कतराते हैं क्योंकि यह आपके रिटायरमेंट के लिए की गई जमा पूंजी है. लेकिन, बैंक लोन में डिफॉल्ट करने से बेहतर होगा कि जब आपके पास कोई विकल्प नहीं है तो आप इसका इस्तेमाल करते हुए अपने ईएमआई का भुगतान करें. यदि आप 5 साल की नौकरी कर चुके हैं तो इस फंड से निकासी पर आपको किसी तरह के टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा, लेकिन नई नौकरी मिलने के बाद आपको नया प्रॉविडेंट फंड अकाउंट खुलवाना पड़ेगा.
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इन सभी तरीकों को यदि आप नहीं अपना सकते तो इस सूरत में आपकों बैंक से सीधे बात करनी चाहिए. बैंक के पास अधिकार रहता है कि वह आपकी ईएमआई को कुछ अवधि तक रोक सके या रीफाइनेनसिंग का विकल्प दे दे. इस स्थिति में बैंक आपके ईएमआई भुगतान की अवधि को बढ़ा सकता है.
फाइनेनशियल मामलों के ज्यादातर जानकारों का यह भी मानना है कि यदि आप ने महज निवेश के लिए किसी संपत्ती के लिए लोन लिया है तो इस सूरत में आपको सीधे सस्ते दर पर ली हुई संपत्ति को बेचकर अपने लोन को बंद कर देना चाहिए.