मुंबई : केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने अपनी जून द्विमासिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर में कटौती करने से इंकार कर रिजर्व बैंक ने 6.25 फीसदी पर रेपो रेट को बरकरार रखते हुए स्टैट्यूटरी लिक्वीडिटी रेशियो (एसएलआर) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का निर्णय लिया है.
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बता दें कि अपने निर्णय के लिए रिजर्व बैंक ने तर्क दिया कि ब्याज दरों में कटौती करने से पहले उसे मानसून का सही आंकलन और GST को पूरे देश में लागू करने की चुनौतियों का भी आंकलन करना है. यही नहीं रिजर्व बैंक ने इस फैसले के लिए वैश्विक स्तर पर तेजी से बदलते कारोबारी माहौल का भी उल्लेख किया.
हालांकि रेपो रेट यथावत रखने से अब बैंकों को ब्याज दरों में कटौती नहीं मिली. जबकि माना जा रहा था कि नोटबंदी के बाद बढ़े हुए नकद से देश के बैंक अपना कारोबार बढ़ाएंगे लेकिन अब पुरानी दरों पर ही कर्ज दे पाएंगे. रिजर्व बैंक के इस फैसले से अब आपकी ईएमआई वही बनी रहेगी. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि नोटबंदी के बाद देश में बैंकों के सामने अतिरिक्त नकद की समस्या को देखते हुए रिजर्व बैंक ने उन्हें ब्याज दरों के जरिए कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है.