
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 218 कोयला खदानों के आवंटन के भविष्य पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट ने इन आवंटनों को गैरकानूनी करार दिया था और इस निर्णय के आलोक में केन्द्र सरकार ने सभी आवंटन रद्द करने का समर्थन किया है। इसके विपरीत, खदानों के आवंटियों ने इसके लिये अनियमितताओं को जिम्मेदार ठहराते हुये प्रत्येक आवंटन पर गौर करने के लिये समिति गठित करने का अनुरोध किया। कोल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, स्पांज आयरन मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन और इंडिपेनडेन्ट पॉवन प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा कुछ अन्य निजी व्यक्तियों ने 25 अगस्त के निर्णय के फलितार्थ पर गौर करने के लिये समिति गठित करने के विचार से केन्द्र सरकार के सहमत नहीं होने का विरोध किया। प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल और हरीश साल्वे तथा दूसरे वकीलों ने कहा कि केन्द्र सरकार खुद को एक निर्दोष पक्षकार के रूप में पेश कर रही है जिसने खुद ही इस विवादपूर्ण मसले पर शीर्ष अदालत को गुमराह किया है, लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सरकार तो सिर्फ अपनी स्थिति स्पष्ट कर रही है और इस मामले से निबटने का यह निष्पक्ष तरीका नहीं होगा क्योंकि जांच समिति की बैठक अपने आप में बता रही हैं कि किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।