एक व्यक्ति को ट्रक ने कुचल दिया। वह आधे घंटे तक सड़क पर तड़पता रहा, बेटे पिता को गोद में उठाए लोगों से मदद मांगते रहे लेकिन कोई आगे ही नहीं आया।
किसी सड़क हादसे के बाद आपने मौके पर भीड़ भी देखी होगी, शायद आपने खुद भी घायलों की मदद की हो लेकिन करनाल रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार दोपहर हुए एक सड़क हादसे के बाद जो कुछ हुआ उसे देखकर मानवता शर्मसार हो उठी। ट्रक के नीचे आने से घायल व्यक्ति आधे घंटे तक सड़क पर पड़ा तड़पता रहा, लोग खड़े तमाशा देखते रहे।
घायल व्यक्ति के दो बेटे अपने पिता को कंधे पर उठाए लोगों से अपने पिता को अस्पताल पहुंचाने के लिए मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन यह गुहार भीड़ के कानों तक नहीं पहुंच पाई। वहां मौजूद ऑटो और ई-रिक्शा वालों ने भी मदद से इंकार कर दिया।
बेबस बेटे दर्द से तड़पते अपने पिता को लेकर इधर से उधर भागते रहे, मौके पर मौजूद अमर उजाला की टीम ने घायल को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की। बाद में पहुंची पुलिस ने व्यक्ति को अपने वाहन से मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। घायल व्यक्ति अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुका था।
मृतक रत्तुदास बिहार के मधुबनी जिले का रहने वाला था, वह यहां अपने परिवार के साथ बकरा मार्केट में रहता था और लिबर्टी कंपनी में काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। शुक्रवार दोपहर को वह अपने बड़े बेटे शिवम के साथ बाजार जा रहा था, बाप-बेटे जैसे ही रेलवे स्टेशन के सामने पहुंचे, पीछे से आ रहे एक ट्रक ने रत्तुदास को टक्कर मार दी, टक्कर के बाद जमीन पर गिरे रत्तुदास के ऊपर ट्रक का अगला पहिया चढ़ गया।
घटना के बाद ट्रक चालक लाडवा निवासी जिले सिंह ट्रक छोड़कर भागने लगा, लेकिन भीड़ ने ड्राइवर को काबू कर लिया। वहीं घायल रत्तुराम को दर्द से तड़पता देख बेटा शिवम लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा, जब मदद के लिए कोई सामने नहीं आया।
काफी मिन्नते करने के बाद शिवम ने कुछ दूरी पर मौजूद अपने छोटे भाई देशु को मदद के लिए बुलाया, दोनों भाई अपने पिता को उठाए लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन भीड़ उनकी तड़प को अनसुना कर तमाशा देखने में जुटी रही। आसपास खड़े होकर तमाशा देख रहे ऑटो और ई-रिक्शा वालों से जब दोनों बेटे ने अस्पताल पहुंचाने की अपील की तो वे लोग मदद से इंकार कर भाग खड़े हुए।
लोग करते रहे इंतजार नहीं पहुंची एंबुलेंस
दुर्घटना के बाद लोगों ने तत्काल 102 नंबर पर फोन कर एंबुलेंस भेजने के लिए मदद मांगी। आधे घंटे तक व्यक्ति सड़क पर तड़पता रहा, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। जबकि रेलवे स्टेशन से मेडिकल कॉलेज की दूरी मात्र डेढ़ किलोमीटर ही है।
अगर समय पर घायल को मेडिकल मदद मिल जाती तो शायद जान बच सकती थी। घटना के बाद ही लोगों ने दूर से देखकर घायल व्यक्ति को मृत्यु घोषित कर दिया था, लेकिन जब बेटे ने चेक किया तो सांसे चल रही थी। जिसके बाद वहां मौजूद कई लोगों ने एंबुलेंस भेजने की गुहार लगाई। लेकिन घटना स्थल पर एंबुलेंस नहीं पहुंची।