ताइवान से संबंध तोड़ पनामा ने चीन का थामा हाथ
बीजिंग: पनामा और चीन ने घोषणा करते हुए कहा कि वे आपस में राजनियक संबंध स्थापित कर रहे हैं। इसके साथ ही पनामा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ करीबी संबंध रखने के लिए ताइवान से संबंध तोड़ने वाला हालिया देश बन गया है। पनामा के इस कदम पर ताइवान ने रोषपूर्ण प्रतिक्रिया दी। इससे ताइपे और बीजिंग के बीच तनाव बढ़ सकता है। चीन स्वशासित द्वीप ताइवान को एक एेसा प्रांत मानता है, जिसका मुख्यभूभाग से एकीकरण होना अभी बाकी है। विश्व के लगभग 20 देश ताइवान को मान्यता देते हैं और इसका दर्जा चीनी नेताओं के लिए राजनीतिक तौर पर सबसे संवेदनशील मुद्दा है।
ये चीनी नेता एक चीन के सिद्धांत को अपनाने के लिए दबाव बनाते हैं। पनामा के राष्टपति जे कार्लोस वरेला ने देश और दुनिया को दिए टीवी संदेश में कहा कि पनामा और चीन ने आज राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए। दोनों देशों ने साझा बयान जारी करते हुए कहा, दोनों देशों की जनता के हितों और इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए पनामा और चीन ने एक दूसरे को पहचान देने और राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंध स्थापित करने का फैसला किया है। यह इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर के दिन से ही लागू है। दशकों तक ताइवान के दर्जे पर असहमति जताकर उसका पक्ष धरने के बाद अब पनामा ने एक चीन को मान्यता देता है। उसका मानना है कि ताइवान चीनी क्षेत्र का हिस्सा है।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनकी पनामाई समकक्ष इसाबेल सेंट मालो डी एल्वेरेडो ने बीजिंग में समझौते पर हस्ताक्षर किए। ताइवान के राष्टपति कार्यालय ने इस कदम पर रोष जताते हुए कहा,विभिन्न तरीकों से ताइवान के अंतर्राष्टीय स्थान को दबाना जारी रखने के लिए कथित वन चाइना नीति में हेरफेर करने को लेकर हम बीजिंग की निंदा करते हैं। बयान में कहा गया, इस तरह का कदम ताइवान की जनता के जीवन और कल्याण पर तो खुला खतरा है ही, साथ ही यह ताइवान क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बाधित करने के लिए भी स्पष्ट उकसावा है।