लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मो0 आजम खां को नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा है कि वह एक साथ लाभ के दो पदों पर कैसे काबिज हैं। न्यायालय ने उनसे छह हफ्ते में जवाब मांगा है। सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ ही आजम खां रामपुर के मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के पद पर भी काम कर रहे हैं।न्यायालय ने इस संबंध में राज्य से भी पूछा है कि मंत्री रहते हुए आजम खां जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कैसे रह सकते हैं।लखनऊ के शिया धर्म गुरु इमाम राजा हुसैन और एस आमिर हैदर रिजवी ने आजम खां के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें मांग है कि आजम को कैबिनेट मंत्री के पद से तुरंत हटाया जाए। याचिका पर गुरूवार को न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी द्वितीय की खंडपीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अशोक पांडे ने तर्क दिया कि आजम खां मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं जो लाभ के पद की श्रेणी में आता है। संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत लाभ के पद पर रहने वाला व्यक्ति विधायक नहीं हो सकता। ऐसे में जिस दिन आजम कुलाधिपति बने वह मंत्री पद के अयोग्य हो गए।याचिका में यह भी मांग की गई है कि आजम खां के चुनाव को अवैध घोषित किया जाये। उन्होंने लाभ के पद पर रहते हुए विधायक का चुनाव जीता था, जो कि संवैधानिक रूप से गलत है।याचिका में आजम को तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने समेत उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए जाने की गुजारिश की गई है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर इस याचिका विरोध किया गया।