कोविंद-मीरा के बीच है टक्कर, 2 बार बदले गए राष्ट्रपति चुनाव के नियम
20 जुलाई, 2017 को देश के सामने नए राष्ट्रपति का नाम आ जाएगा. 14वें राष्ट्रपति के लिए रामनाथ कोविंद का मुकाबला मीरा कुमार से है. संख्याबल को देखते हुए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है. उनकी प्रतिद्वंदी मीरा कुमार का राजनेता के रूप में और अधिक शानदार करियर है, लेकिन कोविंद राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार हैं.
1974 से पहले होते थे कई उम्मीदवार
पिछले दो दशकों में राष्ट्रपति चुनाव सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के उम्मीदवारों और विपक्षी प्रतिभागी के बीच सीधा मुकाबला होकर रह गया है. लेकिन, यह हमेशा से ऐसा नहीं रहा है. 1952 में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुए. तब से लेकर अब तक इस पद के लिए ये 15वां चुनाव है. राष्ट्रपति पद के लिए 1952, 1957, 1962, 1967 और 1969 में हुए चुनावों में यह देखने में आया कि निर्वाचित होने की कोई आशा नहीं होने पर भी कुछ लोगों ने नामांकन पत्र भरे. कुछ व्यक्तियों ने तो राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन को हल्के ढंग से लेते हुए इसे न्यायालय में भी चुनौती दी.
1974 में नियमों में बदलाव
इन खामियों को दूर करने के लिए 1974 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से जुड़े कानूनों में बदलाव किया गया. 1974 में यह प्रावधान किया गया कि किसी उम्मीदवार के नामांकन पत्र के साथ कम से कम 10 निर्वाचकों समर्थन प्रस्तावक के रूप में और 10 निर्वाचकों का समर्थन द्वितीयक के रूप में होना चाहिए. साथ ही जमानती रकम 2500 रुपये (उस समय के हिसाब से ज्यादा) कर दी गई और यह भी प्रावधान किया गया कि अगर कोई चुनाव याचिका दायर की जाती है तो वह सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में खुद उस उम्मीदवार द्वारा दायर की जानी चाहिए जो चुनाव लड़ रहा था और उसके साथ कम से कम 20 निर्वाचक भी याचिकाकर्ता के रूप में हों.
नियमों में बदलाव का असर, 4 से ज्यादा नहीं रहे उम्मीदवार
1974 में नियमों में बदलाव के बाद उम्मीदवारों की संख्या 15 से सीधे 2 पर आ गई. 1977 में 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया, लेकिन जांच के बाद 36 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज कर दिए गए. नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध निर्वाचित घोषितकिया गया. ये पहला मौका था जब भारत के राष्ट्रपति के रूप में सर्वोच्च पद के लिए निर्विरोध चुनाव हुआ हो. 1982 में फिर से सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच राष्ट्रपति चुनाव हुआ. 1987 में तीन और 1992 में चार उम्मीदवार खड़े हुए. 1997, 2002 और 2007 में एक बार फिर इस पद के लिए दो ही उम्मीदवार खड़े हुए.
1997 में फिर संशोधन
1997 के 11वें राष्ट्रपति चुनाव के समय भारत के राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश 05 जून, 1997 को जारी करके राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति अधिनियम 1952 में और संशोधन कर दिए. अब प्रस्तावकों और द्वितीयकों की संख्या जो नामांकन पत्र के साथ होनी चाहिए, 10 से बढ़ाकर 50 प्रस्तावक और 10 द्वितीयक के स्थान पर 50 द्वितीयक कर दी गयी. जमानत की रकम 2500 से बढ़ाकर 15000 रुपये कर दी गई.
राष्ट्रपति चुनाव 1967 में 17 और 1969 में 15 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन कानून में उक्त बदलावों के बाद इनकी संख्या में भारी कमी आई. उसके बाद से अब तक किसी भी चुनाव में चार से अधिक उम्मीदवार नहीं रहे.नीलम संजीव रेड्डी अकेले राष्ट्रपति हुए जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए.